संगनी
सबसे सुंदर सबसे प्यारी,
पुस्तकों की दुनिया है न्यारी,
जीवन की यह संगनी हमारी,
कहलाती मन रंगीनी हमारी।
ज्ञान का प्रकाश हमें जो दें,
अंतः तम को जो हर दें,
खुद से खुद का परिचय करवा दें,
दु:ख हर; हृदय प्रसन्न कर दें।
जो इसमें रमा, उसी ने जाना,
सच्चा मित्र उन्हीं ने पहचाना,
प्राची को अवगत करवाना,
आगे की भी राह बतलाना,
कवि शेक्सपियर की याद में आया,
'विश्व पुस्तक दिवस' सबने मनाया,
यूनेस्को ने 1995 में मनाया,
भारत ने 2001 में अपनाया।
रचयिता
अंजू गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय खम्हौरा प्रथम,
विकास क्षेत्र-महुआ,
जनपद-बाँदा।
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