नवप्रवेशी का उत्साह

नव जड़ और नवल चेतन है,

नव उत्साह से भरा ये मन है,

नव प्रवेश की इस बेला में,

नूतन का स्वागत वंदन है।


नव आनंद से भरे हुए अब,

बाल और सब शिक्षक गण हैं,

एक पृथक  उमंग में डूबा,

विद्यालय का हर एक कण है।


नवल योजना, नव परिवेश,

नवल कदम यह बहुत विशेष,

ज्ञान प्राप्ति की ओर बढ़े जो,

अब न रहे कोई कसर भी शेष।


ध्यान रहे मास्क का अपने,

नई नई है यह अवस्था,

दूरी थोड़ी रखनी होगी,

करनी होगी नई व्यवस्था।


बड़ी अजब है ये सब बात,

करना होगा नवल विचार

केवल बचाव से कर पाएँगे,

इस बीमारी पर हम वार।


फिर गूँजेगी विद्यालय में,

नन्हीं किलकारी कई  बार,

संयम और सुरक्षा के संग,

हो पाए यह सागर पार।


नई नई इस स्थिति ने भी,

काफी कुछ सिखलाया है,

है बहुमूल्य विद्यालय अपना,

सबको यह जताया है।


नव तैयारी, नव संकल्प,

शिक्षा का नहीं कोई विकल्प,

रचें नया कुछ पुनः जगत में,

हो आरंभ एक नवल कल्प।


रचयिता

पूनम दानू पुंडीर,
सहायक अध्यापक,
रा०प्रा०वि० गुडम स्टेट,
संकुल-तलवाड़ी,
विकास खण्ड-थराली,
जनपद-चमोली, 
उत्तराखण्ड।



Comments

  1. सुंदर अभिव्यक्ति

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  2. बहुत सुदंर प्रस्तुति

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  3. बहुत सुदंर रचना

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  4. brilliant lines👍👍👍🌷🌷🌹🌹🙏🙏

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  5. बहुत सुंदर शब्दों को पिरोया है मैम आपने अपनी इस रचना में👍🏻👍🏻👍🏻👍🏻

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