विश्व पुस्तक दिवस
विश्व पुस्तक दिवस कोशिश है,
किताबों का महत्व समझाने की।
23 अप्रैल 1955 से हुई,
शुरुआत इसे मनाने की।।
पढ़ना है एक यात्रा,
न हो समाप्त, रहे अनवरत।
किताबों का यह संसार,
दे हर प्रश्न का उत्तर।।
हर पन्ना एक द्वार है,
नई दुनिया के वास्ते।
समय का सदुपयोग करो,
किताबी खिड़की के रास्ते।।
इतिहास बदलने की ताकत,
रखती हैं अच्छी पुस्तकें।
नवसृजन नवाचार को,
परिभाषित करें पुस्तकें।।
ज्ञान तथा नैतिकता की,
संदेशवाहक हैं पुस्तकें।
विभिन्न संस्कृतियों की खिड़की,
अखंड संपत्ति हैं पुस्तकें।।
आज का यह विशेष दिन,
कॉपीराइट अधिकार को बताए।
आज के दिन ही जन्म एवं मृत्यु,
विलियम शेक्सपियर थे पाए।।
किताबों की दुनिया में,
एक बार फिर हम खो जाएँ।
किताबों के रूप में,
एक सच्चा मित्र पाएँ।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
Comments
Post a Comment