क्रान्तिकारी मंगल पांडे
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले में,
गाँव नगवा में जन्म लिया।
पिता दिवाकर पांडे के घर में,
माता अभयारानी को धन्य किया।।
उम्र हुई थी २२ वर्ष,
ईस्ट इंडिया कंपनी में शामिल हुए।
बैरकपुर की छावनी में इस वर्ष,
१४४६ नंबर को सिपाही हुए।।
क्रांतिकारी विद्रोह से इनके,
१८५७ संग्राम की शुरुआत हुई।
स्वाधीनता की आग इनके,
दिल में फिर धधक गई।
'मारो फिरंगी' का नारा दे,
दिल में सबके राज किया।
हर भारतवासी के सीने में,
देशभक्ति को जगा दिया।।
चर्बी वाले कारतूसों का,
जिसने जमकर विरोध किया
८ अप्रैल के भानू ने,
बलिदान के उनको याद किया।
भारत के इस वीर पुत्र ने,
चढ़कर फाँसी के फंदे पर।
दी आहुति प्राणों की अपने,
भारत माँ का नाम किया।।
भारत सरकार ने बैरकपुर में,
शहीद मंगल पांडे उद्यान बनवाया।
भारत सरकार ने सम्मान इनके सम्मान में,
'डाक टिकट' जारी करवाया।।
रचयिता
रजनी निगम,
सहायक अध्यापक,
इं. मी. प्राथमिक विद्यालय दोहा,
विकास खण्ड-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
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