सैम मानेकशॉ
भारतीय सेना के प्रथम फील्ड मार्शल,
सैम बहादुर था उपनाम।
गोरखों ने दी थी यह उपाधि,
जब सँभाली थी टुकड़ी की कमान।।
3 अप्रैल 1914 को,
अमृतसर का पारसी परिवार।
जन्म हुआ सैम मानेकशॉ का,
तब भारत था ब्रिटिश गुलाम।।
बड़े हुए तो आई० एम० ए० के,
प्रथम बैच में चुने गए।
1969 में अपनी काबिलियत से,
सेना अध्यक्ष भी बन गए।।
1947 की लड़ाई में,
महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नागालैंड की समस्या भी,
चुटकी में सुलझाई।।
1971 की लड़ाई में,
सैम ने फिर कौशल दिखाया।
एक बार फिर वह दुश्मन,
अपनी मुँह की खाया।।
एकता और देश सेवा के लिए,
सैन्य क्रॉस सम्मान पाएँ।
पदम विभूषण, पद्म भूषण,
भी आपकी शान में आए।।
फेफड़े के संक्रमण ने,
सैम को देश से छीना।
ऐसे वीर सैनिकों से सीखो,
बस देश के लिए जीना।।
रचयिता
ज्योति विश्वकर्मा,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,
विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,
जनपद-बाँदा।
Nice
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