चले आओ रघुरैया
पार लगाने नैया,
चले आओ रघुरैया।
नष्ट हो रही सृष्टि तेरी,
दुनिया बनी है लाशों की ढेरी।
अब ना लगाओ तनिक भी देरी,
आस हमें है बस प्रभु तेरी।
मझधार में डोले नैया।
चले आओ रघुरैया..........
पार लगाने नैया,
चले आओ रघुरैया।
पग पग पर फैली महामारी,
आफत में फँसी है जान हमारी।
काम करे ना बुद्धि हमारी,
आकर बचाओ तारनहारी।
आप ही हो बस खिवैया।
चले आओ रघुरैया.........
पार लगाने नैया,
चले आओ रघुरैया।
मात पिता हैं किसी ने खोए,
भाई-बहन भी किसी ने खोए।
बिलख-बिलख मानव हैं रोए,
आँसुओं से नयन भिगोए।
सृष्टि के आप रखैया,
चले आओ रघुरैया.............
पार लगाने नैया,
चले आओ रघुरैया।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
सुंदर अभिव्यक्ति
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