अम्बे माँ
तर्ज-लेके पहला पहला प्यार
अम्बे माँ का दरबार,
खुशियों का है भंडार।
मैया देती है सबको,
खुशियाँ अपार।
अम्बे माँ का........
माथे पे बिंदिया सोहे,
कानों में कुंडल।
गले पुष्प माला सोहे,
पैरों में पायल।
होकर सिंह पे सवार,
लेकर हाथों में तलवार।
मैया देती है सबको,
खुशियाँ अपार।
अम्बे माँ का...........
झोली सबकी भरती मैया,
देती धन धान्य है।
शक्ति भी देती मैया,
देती सबको ज्ञान है।
हर विपदा को देती टाल,
बनती हम सबकी है ढाल।
मैया देती है सबको,
खुशियाँ अपार।
अम्बे माँ का...........
भक्तों की रक्षक मैया,
दुष्टों की काल है।
ममता की सागर मैया,
करती बेड़ा पार है।
भक्त जो जाएँ तेरे द्वार,
मिट जाएँ उनके कष्ट हज़ार।
मैया देती है सबको,
खुशियाँ अपार।
अम्बे माँ का............
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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