बजरंग बली
बजरंग बली अब आ जाओ,
संकट से प्रभु हमको बचाओ।
संजीवनी बूटी फिर से लाओ,
आकर अपनी सृष्टि बचाओ।
आप ही हो प्रभु आस हमारे,
हम सबके प्रभु आप सहारे।
रघुनन्दन के थे काज सँवारे,
बिगड़े बना दो काज हमारे।
लाँघ समन्दर फिर आ जाओ,
महामारी से हमको बचाओ।
पूँछ जलाकर फिर से अपनी,
महामारी की लंका जलाओ।
मैनाक पर्वत को समझाकर,
तीव्र गति से फिर से आओ।
चतुराई अपनी दिखलाकर,
महामारी सुरसा को हराओ।
अब ना पवनसुत देर लगाओ,
अपनी कृपा हम पर बरसाओ।
फिर से अपनी गदा उठाओ,
महामारी पर क़हर बरसाओ।
रचनाकार
सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।
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