मैं भारत का वासी हूँ

गिरिजा के घर शीश नवाकर,

माथे पर तिलक सजाकर।

दुआ लेकर गिरिजाघर से,

मैं दोनों को शीश झुकाता हूँ।

मैं भारत का वासी हूँ,

भारतवासी कहलाता हूँ।।


इबादत में गुज़रता है रमजान,

तिरंगा है मेरी पहचान।

देख रामजानकी की झाँकी,

मैं दोनों का सम्मान अपनाता हूँ।

मैं भारत का वासी हूँ,

भारतवासी कहलाता हूँ।।


श्रेष्ठजनों को करता हूँ नमन,

नमाज़ का मैं हूँ पाबन्द।

लेकर नाम अपने वतन का,

मैं दोनों का मान बढ़ाता हूँ।

मैं भारत का वासी हूँ,

भारतवासी कहलाता हूँ।।


नहीं किसी का बुरा किया,

दोनों को एक साथ याद किया।

राम-रहीम की पावन धरा को,

अपनी इबादत से सजाता हूँ।

मैं भारत का वासी हूँ,

भारतवासी कहलाता हूँ।।


रचनाकार
रुखसाना बानो,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक कन्या विद्यालय अहरौरा,
विकास खण्ड-जमालपुर,
जनपद-मीरजापुर।



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