नव वर्ष
नवल वर्ष का नवल भास्कर आया है नव उत्थान लिए,
बिखरी हैं केसरिया किरणें नव ऊर्जा नव प्राण लिए|
सबका मन मंदिर हो, नैतिकता की बातें हों,
मन में कोई डर नहीं, बिन भय की रातें हों|
पढ़ लिख कर तेजस्वी हों, सब ज्ञान का भंडार बनें,
विवेक मे प्रकाश फैले, अंधकार का नाम मिटे|
भूखे पेट व खाली जेब, फिर कोई न हो देश में,
हर मनुष्य ढल जाए अब ईश्वर के वेश में|
रचयिता
संगीता गौतम जयाश्री,
सहायक अध्यापक,
उच्च प्राथमिक विद्यालय ऐमा,
विकास खण्ड-सरसौल,
जनपद-कानपुर नगर।
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