संघर्ष से सफलता की कहानी 02, रेनू कुमारी
🏅#संघर्ष_से_सफलता_की_कहानी🏅 02
प्रारम्भिक जीवन :- मेरा जन्म एक ऐसे गांव में हुआ था जहां रास्ते तक अच्छे नहीं हुआ करते थे। #सैफई क्षेत्र में मेरा गां
व था। लेकिन मैं दो भाइयों के बाद घर में आई तो सभी की लाडली थी। जब मैं 2 वर्ष की थी तब मैं अपनी ताई जी के पास जनपद स्तर पर इटावा आ गई।
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2. शिक्षा दीक्षा :- मेरी शिक्षा इटावा में ही शुरू हुई। मेरी बड़ी मां मुझे घर पर ही पढ़ातीं थीं। मैं पढ़ने में बहुत अच्छी थी, लेकिन मेरे जमाने में लड़कियों को दूसरे शहर जा कर पढ़ने की अनुमति नहीं थी। मैं बैंक में नौकरी करना चाहती थी। मैं हर बार सभी विषयों में पास हो जाती लेकिन मानसिक योग्यता आधारित परीक्षा में सफल नहीं हो पाती। मैनें अपना रास्ता बदला और शिक्षक बनने का सपना देखा। जब मैंने #BTC की प्रतियोगिता में सफलता हासिल कर ली तो बहुत से रिश्तेदारों और मेरे अपने बाबा के द्वारा इतना विरोध किया गया कि लड़कियां नौकरी करती अच्छी नहीं लगतीं। मुझे सन 1990 में BTC में एडमिशन नहीं लेने दिया गया। मैं बहुत रोई। मेरे पापा एक आदर्श पुत्र थे, उन्होंने बाबा का विरोध नहीं किया। मैं भी मन में ठान चुकी थी कि मैं नौकरी तो जरूर करूंगी। मैं जब भी किसी महिला को ऑफिस, बैंक या स्कूल जाते देखती तो ईश्वर से यही प्रार्थना करती प्रभु मुझे भी ऐसा ही जीवन चाहिए। मैंने हिम्मत नहीं हारी और M.A. में एडमिशन ले लिया। इसी बीच मेरे बाबा 90 साल की उम्र लेकर इस दुनियां से चले गए। मैंने फिर से बी०टी०सी० का टेस्ट दिया और सफलता हासिल की।
3. शिक्षक रूप में जीवन काल :- B०T०C० कर के 1997 में एक अध्यापक के रूप में P.S. जयमलपुर ब्लॉक महेवा में नियुक्ति ली। मुझे मेरे सपने पूरे होने की इतनी खुशी थी कि मैं हमेशा सोचती कि मैं इन बच्चों के लिए कुछ ऐसा करूं जो एक मिसाल बने। जब मैं स्कूल में पहुंची तो मेरे हेडमास्टर श्री उदय नारायण जी बहुत ही आदर्श अध्यापक थे और एक महिला अध्यापिका भी थीं। मैंने देखा कक्षा 1 और 2 के बच्चे पट्टी पर एक बार लिख लेते और पूरा दिन बैठे रहते मैनें अपने प्र०अ० से कहा कि ये दोनों क्लास मैं पढ़ाऊंगी। तो मुझे क्लास 2 दी गई और मैने लगभग 22 बच्चे थे, जिनको अपने पास से एक एक कॉपी पेंसिल ला कर दी। अब हेड सर ने देखा तो मुझे बुला कर कहा कि अगर कोई अधिकारी देख लेगा तो तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई कर देगा। पहले तो मैं डर गई। ईश्वर ने मेरा साथ दिया। स्कूल के पास ही बकेवर में मेरी शादी हो गई और मेरे ससुर जी वहीं जनता इंटर कॉलेज में थे और एक आदर्श अध्यापक के रूप में उनको लोग जानते थे, इसका मुझे लाभ मिला। वह मुझे समझाते कि अपना काम ईमानदारी से करना तो कोई कुछ नहीं कर पाएगा। मैने बच्चों को कॉपी पर घर के लिए काम देना शुरू किया और हर बच्चे को दो दो कॉपी दी और वो कॉपी मैं घर ला कर चैक करती। अगले दिन बच्चों में बांट देती बच्चे जो काम करके लाते वो मुझे जमा कर देते। यही कार्य पूरे साल चुपचाप चलता रहा। अगले सत्र में गांव के लोग ज्यादा से ज्यादा बच्चे ले कर स्कूल में नाम लिखवाने आए और मेरी बहुत तारीफ होने लगी। फिर मेरे हेड भी मुझ से बहुत खुश हुए। वर्ष 2007 में मैं पदोन्नति लेकर वर्तमान विद्यालय *ups लुधियानी* में आ गई। मेरा संकुल भी नहीं बदला। मुझे पढ़ाई के साथ साथ सिलाई कढ़ाई से काफी गहरा नाता था। मैं खुश थी जूनियर में बच्चों को सब कुछ सिखाने का मौका मिलेगा। इस विद्यालय में 12 टीचर पहले से थे तो मैं सबसे उम्र में भी छोटी और वैसे भी कनिष्ठ। मुझे कुछ भी नहीं समझा जाता। लेकिन धीरे धीरे सभी अध्यापक सेवा निवृत हो गए और वर्ष 2017 में मैं इंचार्ज हो गई। उस समय छात्र संख्या 138 थी। एक लड़की एक दिन स्कूल में आ कर रोने लगी मैंम मैं पढ़ नहीं पाई! मुझे कुछ और भी काम नहीं आता जो मैं अपना पेट भरने लायक कुछ कर पाती। मेरा पति मुझे बहुत मारता पीटता है। इस घटना से मन बहुत आहत हुआ और मैंने सोच लिया कि लड़कियों को पढाई के साथ साथ सिलाई कढ़ाई भी सिखाना है। मैंने एक *सिलाई मशीन खरीद ली।* मुझे सबने बहुत कहा कि आपने मशीन क्यों ले ली इसकी परमिशन लेनी चाहिए थी। लेकिन मैं डरी नहीं मैने सोच लिया ज्यादा कुछ होगा तो इस के पैसे मैं अपनी जेब से भर दूंगी। मैंने अपना काम बड़ी हिम्मत से किया और आज मेरे स्कूल की कई लड़कियां सिलाई करके अपने मां बाप का आर्थिक सहयोग कर रही हैं और जो भी अधिकारी आते हैं वो भी खुश हो कर ही जाते हैं। मेरे विद्यालय का स्टाफ भी बहुत अच्छा है। सभी एक दूसरे का सहयोग करते हैं। मेरे यहां एक एजुकेशनल पार्क भी बना है उसमें सभी विषयों से संबंधित Tlm है। जिसको बनाने में पूरे स्टाफ का सहयोग रहा। पिछले कई वर्षों से #इंस्पायर_अवार्ड में बच्चे चयनित हो कर प्रदेश स्तर और मंडल स्तर तक पहुंच रहे हैं। राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस में भी प्रदेश स्तर तक चयन हुआ है।
*5. भविष्य की कार्ययोजना :-* मैं और मेरा स्टाफ बड़ी मेहनत से कार्य करते हैं और भविष्य के लिए यही प्रयास करते हैं कि बच्चों के लिए हर प्रतियोगिता इतनी आसान हो हर वर्ष ज्यादा से ज्यादा बच्चे जीत हासिल कर सकें। सभी प्रतियोगिताओं की तैयारी अच्छे से करवाते हैं और जो जहां से कुछ अच्छा मिलता है उसका पालन करते हैं।
*6. मिशन शिक्षण संवाद टीम का सहयोग :-* टीम का जो भी सहयोग मिलता है वो बहुत तारीफ योग्य रहता है। इस टीम का मार्गदर्शन प्राप्त होता है हम उसका ईमानदारी से पालन करते हैं और आगे बढ़ने खुशी होती है। मैं यही कामना करती हूं कि ये टीम अपना सहयोग प्रदान करती रहे। हम आभारी रहेंगे।
धन्यवाद।🙏🏻
#रेनू_कुमारी स०अ०
*उच्च प्राथमिक विद्यालय लुधियानी*
विकास क्षेत्र- *महेवा*
जनपद- #इटावा
_✏️संकलन_
*📝टीम मिशन शिक्षण संवाद*
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