चूहों की मौज
कुहरा छाया निकली न धूप।
बिल्ली निकली पहन कर सूट।
मटक- मटक कर घूमी -घामी।
भूख लगी तो आयी परेशानी।
चूहा पकड़ी पकड़ न पाई।
रोई भूख से मुँह को फुलाई।
फिर दिखी किचन में उसे मलाई।
सूट फेंक सरपट खाने को आयी।
चप -चप कर बिल्ली ने खायी।
चूहों ने मिल कर मौज मनायी।।
रचनाकार
दीपमाला शाक्य दीप,
शिक्षामित्र,
प्राथमिक विद्यालय कल्यानपुर,
विकास खण्ड-छिबरामऊ,
जनपद-कन्नौज।
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