विश्व हिन्दी दिवस
विश्व की सबसे प्यारी भाषा,
हिन्दी हिन्दुस्तान की आशा।
पुरखों की पावन वाणी है,
मिलन-विरह की ये परिभाषा।।
माँ की लोरी है ये हिन्दी,
गाँव की गोरी है ये हिन्दी।
करती मस्तक सदा सुशोभित,
ऐसी है ये शोभित बिन्दी।।
तुलसी, मीरा, सूर, जायसी,
और महादेवी की पीड़ा।
बच्चन, नीरज, पन्त, बिहारी,
गाते हैं भारतेन्दु, कबीरा।।
संस्कृत भाषा की बेटी है,
उर्दू की ये प्यारी बहना।
गर्व है हर भारतवासी का,
और भारत माता का गहना।।
दोहे, चौपाई, सोरठा, रोला,
कुण्डलियाँ और बरवै आले।
हिन्दी भाषा के ये छन्द हैं,
मधुर रसों के मधुरिम प्याले।।
जयशंकर के आँसू हिन्दी,
बच्चन की है ये मधुशाला।
अभिलाषा है माखनलाल की,
मिलते हैं यहीं कवि "निराला"।।
हरिऔध की विरह कथा है,
है कुमार विश्वास की प्रीत।
हिन्दी ही दिनकर की उर्वशी,
रहिमन के दोहे की नीति।।
परदा है यशपाल का हिन्दी,
"रेणु" का मैला आँचल धानी।
यही गोदान है प्रेमचंद का,
यही सुभद्रा की मर्दानी।।
जग के जनमानस में फैले,
हिन्दी दुनिया में सब बोलें।
हिन्दी ही हर देश में छाये,
आओ "विश्व हिन्दी दिवस" मनाएँ।।
रचयिता
शिखा वर्मा,
इं०प्र०अ०,
उच्च प्राथमिक विद्यालय स्योढ़ा,
विकास क्षेत्र-बिसवाँ,
जनपद-सीतापुर।
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