नववर्ष का आगाज़
प्यार के खातिर ही तो
उसने रच डाला प्यारा संसार
फैल गई प्यार की खुशबू
बस गये परिवार
निभाने प्यार को
दे दिया माँ का आँचल
और पिता की छत्र छाया
एक धड़कता हुआ दिल
जो समझे सिर्फ
प्यार की ही भाषा
प्यार की खातिर ही
देते हैं कुर्बानियाँ
देश की खातिर
रिश्तों की खातिर
या फिर मुहब्बत की दीवानगियाँ
होता न प्यार
न जन्म लेता कोई रिश्ता
प्यार में है शक्ति अनन्त
दे सकता साँसें जीवन को
है ज़रूरत आज प्यार की
फैलें तरंगें प्यार की
हो हर रिश्ते में प्यार
तभी तो बसा रहेगा
ईश्वर का रचा
ये प्यारा संसार
नववर्ष के आँचल में,
हो प्यार का साज,
ऐसा हो नववर्ष का आगाज़,
छाया रहे हर्षोल्लास||
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
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