गणतंत्र दिवस
हो गणतंत्र केसरिया संग,
जो भर दे सबमें त्याग, बलिदान
और साहस का रंग,
फिर न होगा कहीं खून बदरंग॥
हो गणतंत्र श्वेत संग,
फिर न होगा कहीं द्वन्द,
होगी शान्ति सबके संग,
तभी तो होगा भारत गणतंत्र|
रहें गतिशील समय संग,
रहे ऊर्जा सबके संग,
बने पहचान वक्त संग,
यही तो है जीवन तरंग|
हो गणतंत्र हरियाली संग,
होगी खुशहाली सबके संग,
देख खुशियों के रंग,
होगी मुस्कान अधरों के संग|
बँधे हो एकता के संग,
तभी पनपेंगे खुशियों के रंग,
इन्द्रधनुष होगा धरती संग,
नहीं दूर किसी से कोई रंग|
भारत में हैं सब रंग,
हैं श्रेष्ठ सब रंग,
नहीं मतभेद खुशियों संग,
तभी तो हैं हम गणतंत्र|
मनाओ गणतंत्र खुशियों संग,
मनाओ गणतंत्र वादों संग,
मनाओ गणतंत्र संकल्पों संग
रहे सदा गणतंत्र संग|
है गणतंत्र, तभी बसंत,
है आज दोनों गणतंत्र और बसंत,
रहे सदा गणतंत्र,
छाया रहे सदा बसंत
रचयिता
अर्चना गुप्ता,
प्रभारी अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सिजौरा,
विकास खण्ड-बंगरा,
जिला-झाँसी।
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