विश्व हिन्दी दिवस
हिन्दी को जन-जन तक पहुँचाएँ,
कुछ ऐसे हम हिंदी दिवस मनाएँ।
हिन्दी, हिन्द की है गौरव गाथा,
मातृभूमि का, हम मान बढ़ाएँ।
सरल, सहज अपनेपन की भाषा,
संस्कृत से जन्मी, भारत की भाग्य विधाता।
एकता के सूत्र में, बाँधें सुर इसके,
वीररस, करूण, वात्सल्य के गीत सुनाएँ।
भावों की अभिलाषा, ज्ञान की पिपासा,
सप्त सिन्धु के अमिय, हर विद्यार्थी प्यासा।
देवनागरी लिपि न्यारी, अद्भुत है संस्कार,
श्रेष्ठतम, उन्नत ग्रंथों की माला, अनूठी परिभाषा
शिशु, सरल लोरी सा, जब गाता आखर इसका,
मधु की मिठास सुन, मन मधुर हृदय हो जाता।
ऋषियों की वाणी, पुराणों की है भाषा,
वसुदेव-कुटुम्बकम् हिन्दी सर्वोच्च बिठाये।
हिन्दी को अब, जन-जन तक पहुँचाएँ,
कुछ ऐसे, हम सब हिंदी दिवस मनाएँ।।
रचयिता
वन्दना यादव "गज़ल"
सहायक अध्यापक,
अभिनव प्रा० वि० चन्दवक,
विकास खण्ड-डोभी,
जनपद-जौनपुर।
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