भारत के मान - स्वामी विवेकानंद
सफर शून्य से शुरू हुआ है, शून्य पे आ खतम,
हर विषय की परिभाषाएँ, शून्य पे आ खतम,
नरेंद्र भारत के मान को, सराहा विश्व ने,
समझो जानो युवा लक्ष्य, शून्य पे आ खतम।
अनु बिन राम नाम जपना, जपना ना रहे,
अति धन लालच में अपना, अपना ना रहे,
स्वामी जी के कथनों का, अनुसरण हम करें,
विश्व गुरु बनने का सपना, सपना ना रहे।
रचयिता
ऋषि दीक्षित,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय भटियार,
विकास क्षेत्र- निधौली कलाँ,
जनपद- एटा।
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