शक्ति, ऐश्वर्य, सौन्दर्य की देवी महागौरी नमन
शिव की अर्धांगिनी और गणेश की माता,
उपासना से भक्तों का कलुष धुल जाता।
नवरात्र के आठवें दिन महागौरी पूजा का विधान,
अमोघ शक्तिदायी और सद्य फलदायी रुप धरें माता।।
शंख, चंद्र का फूल सम है गौर वर्ण,
समस्त वस्त्र आभूषण आदि है श्वेत वर्ण।
चार भुजाधारी, वाहन इनका वृषभ है,
दाहिने हाथ अभयमुद्रा, त्रिशूल साजे, मुद्रा रहे शांत वर्ण।।
शिवजी को पाने हेतु कठोर तप कीं मैया,
करुणामयी, स्नेहमयी, शांत, मृदुल मेरी मैया।
अष्टमी के दिन सुहाग के लिए चुनरी करें भेंट,
ध्यान, पूजन, स्मरण से कल्याण करें मैया।।
अंतरजनों के असंभव कार्य भी संभव हो जाते,
शरण पाने हेतु सर्वविध प्रयत्न को तत्पर हो जाते।
मनुष्य की वृत्तियों को सत् की ओर प्रेरित करतीं,
सर्वत्र विराजमान अंबे माँ की कृपा से कार्य सुगम हो जाते।।
नारियल और उससे निर्मित चीजों का भोग लगाएँ,
भक्तों पर महागौरी माँ सदा कृपा बरसाएँ।
कन्या पूजन इस दिन करके विशेष फल की हो प्राप्ति,
श्रद्धा पूर्वक सेवा से महागौरी माँ प्रसन्न हो जाएँ।।
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