नमन माँ ब्रह्मचारिणी
माँ दुर्गा के द्वितीय स्वरूप का हो दर्शन,
ब्रह्मचारी रूप माँ का रहे अति भावन।
तप का आचरण करने वाली माँ को नमन,
नाम में ही समाहित शक्ति महिमा का वर्णन।।
त्याग, तप, संयम, सदाचार की होती वृद्धि,
कर्तव्य पथ से विचलित ना होने की स्थिति।
ऊर्जा कार्य कुशलता की प्रदाता मेरी मैया,
चराचर जगत की विधाओं की मैया करे वृद्धि।।
श्वेत वस्त्र धारिणी अष्टदल माला साजे,
द्वितीय हसते मैया के कमंडल राजे।
सादा और भव्य रूप धारण करें मैया,
अति सौम्य क्रोधरहित वरदायनी माँँ विराजे।।
तप की देवी इनको माने जग सारा,
कठिन तप के बाद ब्रह्मचारिणी नाम धारा।
निराहार व्रत करके महादेव को प्रसन्न किया,
माता पार्वती को फिर पत्नी रूप में स्वीकारा।।
तप से असीम शक्ति मैया ने पाई,
भक्तों पर कृपा सदा की बनाई।
सुख शांति समृद्धि का वास रहे हमेशा,
द्वितीय रूप, दिव्य अलौकिक प्रकाश हैं लाई।।
Comments
Post a Comment