विश्व पुस्तक दिवस

पुस्तक में है सृष्टि सारी, 

पुस्तक में विज्ञान।

पुस्तक पढ़कर ही बनते, 

निपुण और विद्वान।।


जीवन के हर सार को, 

पुस्तक हमें बताती।

कर लेते हैं अर्जित फिर,

हम खुद का आत्मज्ञान।।


कर्म किये जा फल की,

इच्छा मत कर नादान।

पुस्तक में ही निहित है, 

सारा गीता ज्ञान।।


विघ्न विनाशक बनकर, 

उत्तम राह का हो ज्ञान। 

पुस्तक के सद्विचार से ही, 

बनते हैं चरित्रवान।। 


बाधाओं को पार कर, 

मंज़िल को पा जाते।

पुस्तक पढ़कर ही मिलती, 

हर क्षेत्र में पहचान।। 


रचयिता

पारुल चौधरी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय हरचंदपुर,
विकास क्षेत्र-खेकड़ा,
जनपद-बागपत।


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