माँ कालरात्रि वंदन

दानव, दैत्य, राक्षस, भूत स्मरण मात्र से भागें,

ग्रह बाधाओं की चले नहीं मेरी माँ के आगे।

दुष्टों का विनाश करने वाली है कालरात्रि मैया,

अग्नि-भय,जल-भय, जंतु- भय, शत्रु-भय साधक से दूर भागे।।


माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि मैया,

साधक का मन सहस्रार चक्र में रखती मैया।

ब्रह्मांड की समस्त शक्तियों का खुलता है द्वार,

महाकाली, भैरवी, रुद्राणी, चामुंडा नाम से जानी जाए मैया।।


नकारात्मक ऊर्जाओं का नाश करें मेरी माँ,

साक्षात्कार से सिद्धि और निधि का भागी बनाए माँ।

पाप विघ्न का नाश, अक्षय पुण्य लोक की हो प्राप्ति,

भयानक रूप है फिर भी शुभ फल देती है मेरी माँ।।


घने अंधकार सा वर्ण, गले में मुंडमाला है,

तीन नेत्र ब्रह्मांड सदृश, चमकीली किरणों का उजाला है।

श्वांस-परश्वांस से अग्नि की ज्वालाएँ निकलें,

वाहन गर्दभ इनका, वरमुद्रा -अभय मुद्रा का बोलबाला है।।


शुभंकरी मेरी मैया भक्तों का करें उद्धार,

यम, नियम, संयम का पालन हो स्वीकार।

मन, वचन, काया की पवित्रता का रखें ध्यान,

स्वरूप- विग्रह हृदय में अवस्थित करके करो अंगीकार।।


रचयिता
नम्रता श्रीवास्तव,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय बड़ेह स्योढ़ा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।

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