पृथ्वी दिवस
लगाकर भूमि का, करो आज श्रृंगार।
जन-जन की यह मात है, करें सभी से प्यार।।
नदियाँ, जंगल, नग सभी, पृथ्वी की सन्तान।
रक्षण करती है धरा, चाहें बस सम्मान।।
कई खजाने हैं भरे, माँ धरती की गोद।
गर्व कभी करती नहीं, रहे सदा ही मोद।।
वृक्षों से मिलते हमें, छाया लकड़ी फूल।
ऑक्सीजन है कीमती, हर मानव का मूल।।
पृथ्वी दिवस मनाइए, देकर तरु उपहार।
सबके जीवन में भरे, सुख की नेक बहार।।
धरती, पृथ्वी, भू, धरा, भूमि धरित्री नाम।
वसुन्धरा भी जानिए, सब आते हैं काम।।
रचयिता
गीता देवी,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,
विकास खण्ड- बिधूना,
जनपद- औरैया।
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