मैं जीवन हूँ

मत काट मुझे मैं जीवन हूँ! 

मेरे बिन न जी पायेगा, 

छाया, छतरी और ऑक्सीजन

तू बोल कहाँ से लायेगा,


चुनचुन कर मुझको काट रहा

तू अपना जीवन छाँट रहा, 

सुख सुविधा पेट न भरते हैं

तू अनाज कहाँ से लायेगा,


कितने लम्बे-लम्बे रस्ते

छाया को आज तरसते हैं, 

राहों में जब थक जाएगा

तू विश्राम कहाँ कर पायेगा,


अपनें हाथों से खुद अपना

भविष्य डालता संकट में 

दो गज जमीन की खातिर तू

क्या बंजर जमीन बनायेगा,


रचयिता

रीता गुप्ता,

सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय कलेक्टर पुरवा,
विकास खण्ड-महुआ,
जनपद-बाँदा।



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