माँ कालरात्रि की महिमा

नवरात्रि का सातवाँ रूप कालरात्रि मानो, 

श्याम वर्ण मैया का भक्तों गर्दभ वाहन जानो। 

निर्भयता और निडरता का माँ देती आशीर्वाद,

विशेष सिद्धि की प्राप्ति हेतु मैया को पहचानो।।


कालरात्रि मैया की सुनलो सभी कहानी,

रक्तबीज दानव ने कर रखी थी मनमानी।

लोग सभी परेशान होकर पहुँचे शिव के पास,

रक्षा करो हमारी प्रभु जी तुम हो औघड़ दानी।।


रक्तबीज दानव की थी एक बड़ी विशेषता,

रक्त गिरे धरा पर तो नए बीच का हो न्यौता।

अनुरोध किया नीलकंठ ने माता से आकर,

हे भवानी असंभव भी संभव तुमसे हो जाता।।


माँ पार्वती ने तेज से शक्ति का संधान किया,

नए रूप कालरात्रि का दुर्गा माँ निर्माण किया।

रक्तबीज का रक्त का पिया भूपर गिरने से पहले,

मुख में भरकर रक्त को दुष्ट का अंत किया।।


आओ भक्तों मैया के चरणों में नमन करें,

विपदा दूर कर मैया पीड़ा को सदा हरें। 

नवरात्रि में मिलकर सब करो माँ का गुणगान,

खाली झोली मैया सबकी देखो आज भरें।। 


रचयिता

गीता देवी,

सहायक अध्यापक,

प्राथमिक विद्यालय मल्हौसी,

विकास खण्ड- बिधूना, 

जनपद- औरैया।



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