विश्व पुस्तक दिवस
आओ बच्चों पुस्तकों को जानो,
इनको जीवन का आधार तुम मानो।
इनसे तुम जो दोस्ती कर लोगे,
बिना इसके फिर जीवन ना मानो।।
मूल विचार 1922 में विंसेट क्लेव द्वारा आया,
पहली बार 7 अक्टूबर 1926 को मनाया।
23 अप्रैल को ये दिवस मनाना किया निश्चित,
भारत के कई हिस्सों में पुस्तक प्रकाशित करवाया।।
जागरूकता बढ़ाने को इसे मनाया है जाता,
"जीने की राह" लोकप्रिय पुस्तक बताया जाता।
पुस्तकों के संकलन से व्यक्तित्व का हो अनुमान,
कॉपीराइट दिवस के रूप में भी जाना जाता।।
बच्चों को पुस्तक पढ़ने को करें प्रेरित,
नैतिकता ज्ञान को करती है प्रसारित।
रचनात्मक कलाकारों के स्वामित्व की है रक्षा,
सकारात्मक प्रभाव समाज पर दृष्टिगत।।
अखंड संपत्ति हैं हमारी यह पुस्तकें,
भिन्न-भिन्न संस्कृति को सहेजे हैं पुस्तकें।
वर्तमान सामाजिक परिदृश्य हैं पुस्तकें,
ज्ञान की सीढ़ी होती हैं सदा पुस्तकें।।
V nice
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