नमन तुम्हें विधि निर्माता
नमन तुम्हें है विधि निर्माता,
दलितों के तुम भाग्य विधाता।
तुम जैसा समाज सुधारक ना हुआ,
तुमसे सदा रहा जन -जन का नाता।।
14 अप्रैल 1891 जग में अवतरित हुए,
बाबा साहब नाम से लोकप्रिय हुए।
अछूतों से सामाजिक भेदभाव का किया विरोध,
किसानों, महिलाओं के समर्थन में खड़े हुए।।
स्वतंत्र भारत के प्रथम विधि न्याय मंत्री थे,
भारतीय संविधान के जनक भी थे।
विपुल प्रतिभा के धनी थे बाबा साहब,
भारत के निर्माण में अमूल योगदान दिए थे।।
बुद्धिमान, संविधान विशेषज्ञ की छवि उभरी,
संविधान के पिता के रूप में प्रतिभा निखरी।
औद्योगिकीकरण और अर्थव्यवस्था में किया सुधार,
बुनियादी सुविधाओं को बढ़ाकर स्थिति सुधरी।।
सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार "भारत रत्न" हुआ शोभित,
डॉ ऑफ लॉज 1952 में हुआ गौरवान्वित।
1953 में डी. लिट. इनकी झोली में आया,
6 दिसंबर 1956 को बाबा साहब ने जग बिसराया।।
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