प्रवेशोत्सव

तर्ज- दुश्मन ना करे.....


अधिकार है शिक्षा तुम्हारा, तुमको मिला है। 

है प्रवेश आरम्भ, फिर स्कूल खुला है।। 


1)- तुम फूल हो गुलशन के ये गुलजार है तुमसे, 

गुलजार है तुमसे...

महकेगा ज्ञान फिर से यह विश्वास मिला है, 

है प्रवेश आरम्भ फिर स्कूल खुला है....

अधिकार है.......


2)-पढ़ना लगाके मन तुम्हें ये ध्यान रखना है, 

ये ध्यान रखना है...

शिक्षा का ये मन्दिर तुम्हें वरदान मिला है... 

है प्रवेश आरंभ फिर स्कूल खिला है...

अधिकार है.......


3)- तकनीकी नवाचारों से शिक्षक पढ़ाएँगे, 

शिक्षक पढ़ाएँगे....

अज्ञानता के तम का निवारण भी मिला है..

है प्रवेश आरम्भ फिर स्कूल खिला है....

अधिकार है.......


रचयिता

ज्योति विश्वकर्मा,

सहायक अध्यापिका,

पूर्व माध्यमिक विद्यालय जारी भाग 1,

विकास क्षेत्र-बड़ोखर खुर्द,

जनपद-बाँदा।



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