नव संवत की बेला आई
नव संवत की बेला आई,
चहुँओर खुशियाँ लाई।
ठंडक दूर भगाकर गर्मी लाई
भारी कपड़ों से निजात पाई
जल की शीतलता भाई
नवरात्रों का त्योहार लाई।
नवसंवत की बेला आई।
नौ दिन दुर्गा माँ की पूजा होगी
घर-घर हवन होगा
शुद्धियाँ चारों ओर होंगी
कन्याओं की पूजा होगी।
नव संवत की बेला आई।
दुर्गा अष्टमी, रामनवमी होगी
साथ हनुमान जयंती होगी
अमराई में तरुणाई लाई
कोयल की कूक ने मिठास बढ़ाई।
नवसंवत की बेला आई।
दिन बड़े और रातें छोटी
गेहूँ की कटाई होगी
खेत खलिहान भरे पूरे होंगे
किसानों की मेहनत रंग लाई।
नव संवत की बेला आई।
चहुँओर खुशियाँ लाई।
रचयिता
सुषमा मलिक,
सहायक अध्यापक,
कंपोजिट स्कूल सिखेड़ा,
विकास खण्ड-सिंभावली,
जनपद-हापुड़।
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