अम्बे माँ

तर्ज - अम्बे तू है जगदम्बे


अम्बे माँ आओ जी,

कष्ट हर जाओ जी।

कृपा बरसाओ जी भारती,

ओ अम्बे दरश अब तो दिखाओ जी।


इस कलयुग में माता मेरी,

इंसान बने हैं पापी।

ताकत और दौलत के बल पर,

ठोंक रहे हैं छाती।

सबक उनको सिखलाओ,

राह सही दिखलाओ भारती,

ओ अम्बे दरश......   


निर्धन और लाचार हैं रोते,

बोझ दुखों का ढोते।

टूट रहा है धीरज उनका,

जीवन से हाथ हैं धोते।

धीरज बँधाने आओ,

खुशियाँ बरसाने आओ भारती,

ओ अम्बे दरश........


तेरे आंचल की छाया में,

हम जीवन अपना बिताएँ।

गलती से भी हम ना किसी को,

चोट कभी पहुँचाएँ।

प्यार लुटाने आओ,

ज्ञान हमको दे जाओ भारती,

ओ अम्बे दरश.....


रचनाकार

सपना,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय उजीतीपुर,
विकास खण्ड-भाग्यनगर,
जनपद-औरैया।

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