पहेलियाँ

अम्बर    के    दो   नयना   है
पर  साथ न  करते  शयना  है
अक्सर  दिखते  जो अभिराम
सोच    विचार   बताओ  नाम
                        पहेली ( 1 )

दुनिया  का  जो  भार उठाती
कभी   नहीं है  वह  सहताती
जो कुदरत  का बढ़िया  धाम
सोच   विचार   बताओ  नाम
                      पहेली ( 2 )

आसमान  से   भी   ऊँचा  है
नहीं कोई उस समान दूजा है
सन्तति  की  रक्षा  करता  है
नित  अच्छी  शिक्षा  देता  है
कुल उन्नति को  करता काम
बोलो  मिलकर  उसका नाम
                      पहेली ( 3 )

जग में ममता  की जो मूरत है
जिसकी प्यारी न्यारी  सूरत है
पीठ में  अपने छड़ी  छुपाकर
बुला  रही  है  हाथ  हिलाकर
वात्सल्य   दिखाये  द्वारे  धाम
बोलो  सब  जन  उसका नाम
                       पहेली ( 4 )

सदा  समय  से स्कूल को जाता
इल्म से सबकी  प्यास  बुझाता
धैर्य   और   संयम    में   रहता
अनुशासन का सबक़ सिखाता
दुनिया   करती    उसे   सलाम
बोलो    बच्चों   उसका    नाम
                         पहेली ( 5 )

१ - सूरज चाँद, २ -धरती, ३ - पिता, ४ - माँ, ५ - शिक्षक।
               
रचनाकार
देवेन्द्र कश्यप 'निडर',
साहित्यकार व सामाजिक चिंतक,
सहायक अध्यापक, 
प्राथमिक विद्यालय हरिहरपुर,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा, 
जिला-सीतापुर।

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