मुंशी प्रेमचंद जी

कथा क्षेत्र के इस सूरज को बारम्बार नमन।

जिसकी साँसों में बसता था,
कृषकों का जीवन,
कथा क्षेत्र के इस सूरज को
बारम्बार नमन।

कुरीतियाँ सारे समाज की,
जिसने हमें दिखाई।
कैसे हमको मुक्ति मिलेगी?
ये युक्ति भी सिखलाई।
जिनके भावों में बसता था,
दलितों का क्रन्दन।

कथा क्षेत्र के इस सूरज को,
बारम्बार नमन।

सेठ और साहूकारी की,
शोषण नीति लिखी।
जिनके चंगुल में फँसकर के,
जनता दुःखी दिखी।
कर्ज नहीं उतरा जीवन भर,
सब कुछ करके अर्पण।

कथा क्षेत्र के इस सूरज को
बारम्बार नमन।।

पराधीनता के जीवन को,
जिनने पाप बताया।
लोगों के बस में रहना,
भीषण अभिशाप बताया।
सदा रही जिनकी अभिलाषा,
होवे परिवर्तन।

कथा क्षेत्र के इस सूरज को
बारम्बार नमन।

रचयिता
डॉ0 प्रवीणा दीक्षित,
हिन्दी शिक्षिका,
के.जी.बी.वी. नगर क्षेत्र,
जनपद-कासगंज।

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