शिक्षा दीप जलाने

हम शिक्षा का दीप जलाएँगे,
बदलेंगे वैचारिक धारा।
दुर्गम पथ है भटकी दिशाएँ,
अब तोड़ेंगे तम कारा।
जिनकी गलियों में छाई निराशा,
ठोकर वे हमेशा खाए।
मिला न उनको लक्ष्य अभी तक,
रहे हैं वंचित आए।
उनके मनों में विश्वास जगाकर,
भर देंगे नया उजियारा।
शिक्षा का दीप- - -
सदियों से पिछड़े पंथ रहे हैं,
कब सुखमय मिला सवेरा।
शोषण की खाते ठोकर जाते,
सब सीमित उनका घेरा।
मानवता की हम ज्योति जलाने,
पुरुषार्थ करेंगे सारा।
शिक्षा का दीप---
भारत जनगण हो विकसित अपना,
अभिनव पथ पर जाने।
जन-जन में विश्वास जगाकर
फिर सपने नये सजाने।
द्वार-द्वार पर पहुँच पहुँच कर,
हम देंगे सबल सहारा।

रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला, 
जनपद -सीतापुर।

Comments

Post a Comment

Total Pageviews