कारगिल विजय दिवस

बचाने को देश की आन, बान और शान
हँसते-हँसते कुर्बान कर दी अपनी जान
शत-शत नमन तुमको कारगिल के वीर जवान

कोई मोल नहीं चुका सकता
उस पत्नी के जज्बातों का
चूड़ियाँ टूटीं, पोंछा गया सिंदूर
 जब सिर माथे का

सूनी अंक हुई उस माँ की
जिसने छोड़ी ना थी कोई
 कसर उसके लालन-पालन में
रूह भी उसकी काँप गयी
जब पुत्र की अर्थी आयी आँगन में

एक भी ना उसका अश्क़ बहा आँखें भी पथराई सी
वतन के खातिर उसके लाल ने अपने सीने पर गोलियाँ खायीं थी

इस सब से अनजान तनय भी धात्री के आँचल में दुबक रहा
एक कोने में बैठा अग्रज भी
देखो कैसे सिसक रहा

हमें गर्व है ऐसे परिवारों पर
जिनमें देश के वीर सपूत पले
हमें गर्व है उनकी संतानों पर
जो कफ़न ओढ़ सीमा पर डटे

भारत माता पर होने से पहले
ही प्रहार को
अपने सीने पर ले जाते हैं।
इन वीर सपूतों की गाथा लिखने को
शब्द भी कम पड़ जाते हैं।

26 जुलाई की ये तारीख
उन कारगिल शहीदों की याद दिलाती है।
कारगिल युद्ध में प्राप्त हुई विजय गाथा को बारंबार दोहराती है।

बचाने को देश की आन, बान और शान
हँसते-हँसते कुर्बान कर दी अपनी जान
शत-शत नमन तुमको कारगिल के वीर जवान

रचयिता
रीनू पाल,
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय दिलावलपुर,
विकास खण्ड - देवमई,
जनपद-फतेहपुर।

Comments

  1. Bhut hi sunder shabdo ka chayn, dil ko chhu jane wali lines,

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