गुरुवर मेरे

गुरुवर मेरे, गुरुवर मेरे!
देते साथ, सुबह-शाम मेरे।।

तुम ही पिता, पालक तुम्हीं।
दुनिया के हो साधक तुम्हीं।।
अच्छा न लगे, तुम बिन डेरे।
गुरुवर मेरे, गुरुवर मेरे ----------।।
आसक्त में तुम, शासक्त में तुम।
निर्धन के तुम, साधन के तुम।।
मन करता यूँ, लगा लूँ फेरे।
गुरुवर मेरे, गुरुवर मेरे ----------।।
जब भी जिया, घबराए मेरे।
लेते ही नाम, पास आएँ मेरे।।
जो होहिं हैं सबके, फिर क्यों करते तेरे-मेरे।
गुरुवर मेरे, गुरुवर मेरे!
देते साथ, सुबह-शाम मेरे।।

रचयिता
नरेन्द्र सैंगर,
सह समन्वयक,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

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