नया सवेरा

परिवर्तन का बिगुल बज रहा
शिक्षा के गलियारे में..
कुछ अब भी पीछे बैठे हैं
सुस्त और अंधियारे में||
सच को अंगीकार न करके
व्यर्थ समय वो गँवा रहे..
ठीक सामने लक्ष्य है उनके
पर निगाह वो घुमा रहे||
कब तक बच पाओगे ऐसे
काम न चल पायेगा अब..
जैसा पहले चलता आया
वैसा न चल पायेगा अब||
आओ सब मिल लग जाएँ
इस बेसिक के उत्थान में..
जिस ज्वाला से यह जग महके
उस शिक्षा के गुणगान में||
समय जा रहा तीव्र गति से
अपनी चाल बढ़ाएँ हम..
तोड़ दे सारी परिपाटी को
नया सवेरा लाएँ हम||
हमसे हैं जग की आशाएँ
शिक्षा और सद्भाव की..
भारत के उज्ज्वल भविष्य और
विश्वगुरु अभिमान की||
हम ही हैं जो कर सकते
सपनों का निर्माण यहाँ..
कलाम के मन का भारत हो
दुनिया को मिले प्रकाश जहाँ||
     
रचयिता
कृष्ण कुमार,
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय रामपुर की मड़ैया, 
विकास खण्ड-भाग्यनगर, 
जनपद-औरैया।

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