जल बचाओ जीवन पाओ

चारों तरफ गूँज रही ये बात
मत करो मुझको बर्बाद
बिन मेरे जी नहीं पाओगे
पक्का है मर ही जाओगे।

मैं हूँ जल
मेरे बिन नही तुम्हारा कल
हर जीवन का आधार हूँ मैं
चाहे हो मनुष्य, पौधा या जलचर

कारों, घरों को धोने में
गर करते रहे यूँ मुझे बर्बाद
तो कैसे कर पाओगे आने वाला कल आबाद
बचा लो मुझे अपने लिए यही है मेरी तुझ से फरियाद।।

पाइप से धोना, शॉवर में नहाना
बिन बात मुझे यूँ बहाना।
बंद कर दो अभी और आज
आने वाली पीढ़ी तभी करेगी तुम पर नाज़।।

वर्षा जल संचयन के तरीके अपनाओ।
भूजल का तुम स्तर बढ़ाओ।
बोतलों में पानी बिकने लगा है।
ऐसा न हो इस से भी वंचित हो जाओ।।

जागृत करो सबको
शिक्षा की रश्मियों से एक ज्योतिपुँज बनाओ
पेड़ लगाओ जल बचाओ
पृथ्वी को सुंदर और निर्मल बनाओ।
नदियों में ना गंदगी बहाओ।
अपना जीवन खुद बचाओ।
कल संवारो जल बचाओ।

रचयिता
रश्मि,
सहायक अध्यापिका,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय सरायदूल्हा,
विकास खण्ड-सिकंदराबाद,
जनपद-बुलंदशहर।

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