मन की बात

सपनों सा हो मेरा विद्यालय
मिले जो सबका साथ,
आओ तुम्हें सुनाती हूँ....
अपने मन की बात

विद्यालय उपवन जैसा हो
फूलों जैसे बच्चों से सुसज्जित,
खिल जाएँगे ये स्नेह से...
हर शिक्षक हो यदि समर्पित...

विद्यालय एक परिवार हो
शिक्षक ही बच्चों का संसार हो,
हमारे दिये संस्कारों से ....
इनके व्यक्तित्व का विस्तार हो,

शिक्षा एक पूँजी है
करो तुम विद्या दान,
बनकर मार्गदर्शक नौनिहालों का....
बनाओ निज कृत्य महान...

तारों सा उज्ज्वल हो भविष्य
हिमालय सा ऊँचा आत्मविश्वास,
भर दो जीवन इनका उजियारों से....
इनमें ही है परमात्मा का वास...

रचयिता
फरज़ाना बानो,
सहायक अध्यापक विज्ञान,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय नेवादा,
विकास खण्ड-शाहगंज,
जनपद-जौनपुर।

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