शिक्षक की अभिलाषा

चाह नहीं शिक्षक बनकर मैं घोर आलसी हो जाऊँ।
चाह नहीं शिक्षक बनकर मैं विद्यालय से घबराऊँ।।

चाह नहीं शिक्षक बनकर बच्चों को कुछ ना सिखलाऊँ।
चाह नहीं शिक्षक बनकर अपने तक सीमित हो जाऊँ।।

चाह नहीं शिक्षक बनकर पढ़ना-लिखना ना कर पाऊँ।
चाह नहीं शिक्षक बनकर बच्चों को प्यार न कर पाऊँ।।

चाह नहीं शिक्षक बनकर सत् के पथ पर ना चल पाऊँ।
चाह नहीं शिक्षक बनकर मैं मानव को ना गढ़ पाऊँ।।

यही चाह है शिक्षक बन भारत को शिक्षित कर जाऊँ।
यही चाह है शिक्षक बन आदर्श अनूठे गढ़ जाऊँ।।
             
रचयिता
अनार सिंह वर्मा,
सहायक अध्यापक,
पूर्व माध्यमिक विद्यालय नगला गोदी,
जनपद-कासगंज।
972062564

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