व्यथा पेड़ की

मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी है  . .
मेरे बिन तेरी साँसें भी अधूरी है,
मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी है . . . . .
कैसे मिलेगी तुमको छाया ये समझना भी जरूरी है,
मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी है . . . . .
कहाँ रहेंगी चिड़ियाँ सारी रैन बसेरा भी जरूरी है,
मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी है . . . . .
बिन पानी के  सूखेगी धरती ये सारी
जीवन के लिए पेड़ लगाना भी जरुरी है,
मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी है . . . . .
बूँद-बूँद को धरती  तरसे बारिश होना भी जरूरी है,
मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी  है . . . . . . .
दया करो तुम हम पर साँसें भी जरुरी है,
मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी है . . .
पेड़ -पौधो से प्रेम करो संदेश ये जन-जन पहुँचाना भी जरूरी है,
मत काटो बाबू जीवन मेरा भी जरूरी है . . . . .

रचयिता
वन्दना गुप्ता,
प्रधानाध्यापिका,
प्राथमिक विद्यालय विशेषरपुर,
विकास क्षेत्र-भदपुरा,
जनपद-बरेली।

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