मुर्गा और लोमड़ी

●लोमड़ी-
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गाँव में तो मुर्गे ज़मीन पर चल रहे हैं।
आप यहाँ  डाल पर क्या कर रहे हैं।
●मुर्गा-
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जानना चाहती हो मैं यहाँ क्या कर रहा हूँ।
मैं तो बस खूंखार  जानवरों से डर रहा हूँ ।
●लोमड़ी-
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ओ! डाल पर बैठे हुए  मुर्गे लाचार।
क्या नहीं सुना, एक बड़ा समाचार।
पशु-पक्षियों में एक समझौता रहेगा।
कोई एक दूसरे पर हमला नहीं करेगा।
●मुर्गा-
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वास्तव में ये तो दुनिया का,सबसे अच्छा समाचार है।
पशु-पक्षियों ने किया, बहुत  ही  बढ़िया  विचार है।
●लोमड़ी-
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आ जाओ नीचे, अब क्या सोच रहे हो।
गर्दन उठाकर ऊपर, क्या देख रहे हो।
●मुर्गा-
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जंगल में कुछ जानवर, धूल को उड़ा रहे हैं।
लगता है इधर, शिकारी  कुत्ते  आ रहे  हैं।
●लोमड़ी-
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मन में न जाने कैसी, मची है खलबली।
अच्छा! क्षमा करना मित्र, अब मैं चली।
●मुर्गा-
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अरे! तुम इतना क्यों घबरा रही हो।
समझौते के बाद भी भागी जा रही हो।
●लोमड़ी-
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आप की बात सत्य है और ज्ञान भी दोगुना है।
शायद समझौते की बात कुत्तों ने नहीं सुना है।

रचयिता
शशिकान्त संघमित्रा, 
प्राथमिक विद्यालय मरवटिया, 
विकास खण्ड-नौगढ़,
जनपद-चन्दौली।

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