शिक्षक प्रेरित-मुक्तक

जहाँ 21 वीं सदी का स्वागत हो रहा है।
वहाँ चारों तरफ काम ही काम हो रहा है।।
इस बदलती दुनिया में स्वयं का ठहराव न कर,
बदलने पर ही 'नये भारत' का निर्माण हो रहा है।।
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लोग हैं कि चढ़ते सूरज को सलाम करते हैं ।
बेसिक शिक्षक हैं कि उतरने से चढ़ने तक पे नजर रखते हैं,
लोग करें सलाम, इसलिए सूरज को जवान करते हैं।।
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तू अपनी ललक व लगन लगाता चल।
तारीफ हो न हो, बस आगे-आगे बढ़ता चल।।
ईश्वर पाई-पाई का हिसाब अवश्य रखता है।
दीपक का कोई घर नहीं होता;
जहाँ भी जाता है वहीं उजाला करता है।।
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जब दायित्व व कर्तव्य का निर्वहन हम सबको होगा।
बेसिक शिक्षा का उत्थान तभी तो संभव होगा।।
गुणवत्ता किसी तिजोरी में कैद की मुहताज नहीं,
आ जाएगी जिस दिन विद्यालय से SMC का जुडाव होगा।।
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प्रधानाध्यापक व शिक्षक जिस दिन एक पिच पर आ जाएँगे।
बीच में खिंचे फासले स्वयं ही खत्म हो जाएँगे।।
SMC का जुड़ाव भी होगा, बच्चे विद्यालय में भी ठहर पाएँगे।
भाषा व गणित तो क्या, बच्चे गुणवत्ता परख शिक्षा भी पाएँगे।।
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जब सारा सिस्टम सुधार की ओर अग्रसर है,
तो बात दूर तलक अवश्य जाएगी।
शिक्षकों की समस्याएँ भी होंगी दूर,
फिर गुणवत्ता परख शिक्षा कहाँ रुक पाएगी।।
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जहाँ भारत चन्द्रयान द्वितीय की तैयारी कर रहा है।
वहाँ पड़ोसी पाकिस्तान स्वयं में जल-भुन रहा है।।
वहाँ की शिक्षा व्यवस्था बिल्कुल सुदृढ़ नहीं,
भारत बेसिक शिक्षा पर जोर दे रहा है।।
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पहले लें समस्याओं को परख;
मंथन से समाधान अवश्य निकल आएग ।
कहीं प्यार से तो कहीं दुत्कार से,
परिणाम निश्चित अच्छा ही आएगा।।
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अभिभावकों में समझ आई है, मगर अभी उतनी नहीं।
शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है, मगर पूर्ण जानकारी नहीं।।
जरूरत है उन्हें विद्यालय से जोड़ने व समझ विकसित करने की।
इसलिए उन्हें विश्वास दिलाएँ, परिहास नहीं।।
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रचयिता
नरेन्द्र सैंगर,
सह समन्वयक,
विकास खण्ड-धनीपुर,
जनपद-अलीगढ़।

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