३५३~ दीप्ति सक्सेना (प्रधानाध्यापिका) प्राथमिक विद्यालय फतेहगंज पूर्वी प्रथम, फरीदपुर, जनपद-बरेली

🏅अनमोल रत्न🏅

मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद- बरेली की अनमोल रत्न शिक्षिका बहन दीप्ति सक्सेना जी से करा रहे हैं जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और संघर्षपूर्ण समर्पित व्यवहार कुशलता से अपने विद्यालय को बाल आकर्षण एवं सामाजिक विश्वास का केन्द्र बना दिया है। जो हम सभी को शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए प्रेरक और अनुकरणीय ढंग से संघर्ष करना सिखाती है।

आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये प्रेरक, अनुकरणीय और संघर्ष पूर्ण प्रयासों को:-

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मैं दीप्ति सक्सेना (प्रधानाध्यापिका)
प्राथमिक विद्यालय फतेहगंज पूर्वी प्रथम, फरीदपुर, जनपद-बरेली से।

📌प्रथम नियुक्ति
प्राथमिक विद्यालय औरंगाबाद में सन-2009 में सहायक अध्यापक पद पर हुई।
📌वर्तमान में प्राथमिक विद्यालय फतेहगंज पूर्वी इंग्लिश मीडियम में प्रधान अध्यापिका पद पर कार्यरत हूँ।
✒सफलता हेतु प्रयास प्रथम नियुक्ति के समय मेरी बेटी मात्र 10 दिन की थी मेरे विद्यालय में 2 शिक्षा मित्र थे, इसलिए विद्यालय का चार्ज मुझ पर आ गया| ज्वाइन करने के बाद बालमन का आकर्षण पहले दिन से ही मुझे अपने प्रेम से प्रभावित करने लगा| उनके प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए मैंने बच्चों को बहुत लगन से पढ़ाया| छात्र संख्या में वृद्धि हुई 2009 में मुझे बी०एस०ए० सर और डीएम सर से पहला प्रशस्ति पत्र मिला|
6 वर्ष यहाँ सेवाएं देने के बाद में प्रोन्नत होकर प्राथमिक विद्यालय करणपुर कला आ गई|

📌 विद्यालय की समस्याएं:-

यहाँ मैंने देखा कि कमरों में गांव वालों ने भूसा भर रखा था| बच्चे बहुत कम आते थे| विद्यालय को देखकर लगता था कि बरसों से पुताई भी नहीं हुई है| शिक्षा के प्रति गांव वालों में कोई रुझान नहीं था| विद्यालय को केवल अपने उपयोग की वस्तु समझा जाता था|

📌 समाधान:-
विद्यालय को मैंने मई - जून की छुट्टियों में रिनोवेट किया। जिसके लिए खंड शिक्षा अधिकारी महोदय ने मेरी मीटिंग में बहुत प्रशंसा की| जुलाई में स्कूल चलो अभियान की रैलियां निकाली घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल आने के लिए प्रेरित किया| रैली में बच्चों को पेंसिल कॉपी बाटी| बच्चों की संख्या में वृद्धि हुई बाल दिवस पर बच्चों को फिनिक्स मॉल घुमाने ले कर गए| बच्चों ने वहाँ बहुत आनंद लिया| नई-नई टेक्नोलॉजी को देखकर बच्चे आश्चर्यचकित हो गए| बच्चों का स्कूल की ओर रुझान बढ़ा, शिक्षा की ओर आकर्षण भी बड़ा|

📌वर्तमान विद्यालय की समस्याएं व मेरे द्वारा किए गए प्रयास:-



जुलाई 2018 में मैंने प्राथमिक विद्यालय फतेहगंज पूर्वी ज्वाइन किया मेरे पूर्व के दोनों विद्यालय काफी इंटीरियर में होने के कारण जाने में असुविधा होती थी तो मैंने ऑन रोड स्कूल ले लिया। यहाँ मैंने देखा कि विद्यालय में पानी भरा रहता था| छत टपक रही थी| यह विद्यालय मेरे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण साबित हुआ, क्योंकि विद्यालय का माहौल बहुत राजनीति पूर्ण था| एक अभिभावक से मुझे पता चला कि विद्यालय शाम को भी खोला जाता था और यहां पार्टियां तथा अन्य कार्य होते थे जो विद्या के मंदिर में होना शर्मनाक एवं निंदनीय है| मुझे रात भर नींद नहीं आई और सुबह जाते ही मैंने बरसों से निजी तौर पर लगाए चपरासी से विद्यालय की चाबियां ले ली और उस चपरासी को हटा दिया फिर मेरा काफी विरोध हुआ। मेरी झूठी शिकायतें डीएम ऑफिस में की गई। जिससे मैं डर जाऊं और स्कूल छोड़ दूं, लेकिन स्कूल को बदल कर रख देने का संकल्प और बच्चों के प्रति प्रेम ने मुझे लक्ष्य पर अडिग रखा| कुछ विद्यालय प्रबंध समिति और कुछ अपने पास से पैसा लगाकर स्कूल रिपेयर और रिनोवेट किया स्कूल के बाहर की जमीन पर वर्षों से अवैध दुकानें थी उनको हटवाया| जिसके लिए मुझे थाने बुलवाया गया| स्थानीय विधायक से भी शिकायत हुई बिना डरे सारी दुकाने मैंने हटवा दी और वहाँ बाउंड्री वॉल करवाकर बच्चों के लिए झूले लगवा दिए स्कूल में पढ़ाई का माहौल बनाया। संगीत में प्रार्थना करवाने हेतु एक हारमोनियम और ड्रम खरीद कर लाइ| बच्चों को विद्यालय आने के लिए प्रेरित किया| घर से कंप्यूटर लेकर गई और बच्चों को कंप्यूटर सिखाया| लाइब्रेरी बनाई जिससे बच्चों में एक जगह साइलेंट स्टडी की आदत बने| आज मेरा विद्यालय फरीदपुर ब्लॉक का उत्कृष्ट विद्यालय है| प्राइवेट स्कूल से नाम कटवा कटवा कर मेरे स्कूल में बच्चे आ रहे हैं। इस विद्यालय के लिए मुझे दो बार बीएसए मैडम और डीएम सर से प्रशस्ति पत्र मिल चुका है।



जब मैंने जुलाई-18 में स्कूल जॉइन किया था तब 226 बच्चे थे। सितंबर-18 में 287 बच्चे हो गए मई- 2019 में 315 बच्चे हो गए। आज 15 जुलाई- 2019 को 365 बच्चे हो गए हैं| आज मेरे स्कूल के बच्चे 15 अगस्त और 26 जनवरी के प्रोग्राम बहुत अच्छे करते हैं उनके माता-पिता भी देख कर हैरान होते हैं| विद्यालय में स्टाफ के नाम पर तीन ही शिक्षा मित्रों के साथ में अकेली टीचर हूँ और प्रधान अध्यापिका भी हूँ क्लास में नियमित पढ़ाती भी हूँ स्कूल के अन्य कार्य भी करवाती हूँ और विद्यालय विकास के लिए सारी लड़ाई भी अकेले लड़ रही हूँ और विद्यालय को उत्कृष्ट श्रेणी में भी लाकर खड़ा कर दिया है।























दे शिवा वर मोहे एही शुभ कर्मन ते कबहुं ना टरु।
न डरू अरि से जब जाए लड़ूं, निश्चय कर अपनी जीत करूं।।

🔖 अगर हम ठान ले तो कोई कार्य ऐसा नहीं जो एक शिक्षक समाज के उत्थान के लिए नहीं कर सकता और विद्यालय ऐसी जगह है जहाँ से समाज की नींव पड़ती है इसलिए विद्यालय का माहौल हमेशा सकारात्मक होना चाहिए जहाँ हमारे बच्चे अपना भविष्य तय करते हैं।
(जय हिंद जय भारत) मेरे बच्चे उपस्थिति देते समय यही बोलते हैं यस मैडम नहीं।
🇮🇳🇮🇳🇮🇳मेरा भारत महान

साभार: दीप्ति सक्सेना (प्रधानाध्यापिका)
प्राथमिक विद्यालय फतेहगंज पूर्वी प्रथम, फरीदपुर, जनपद-बरेली।

संकलन: रुपेन्द्र सिंह
मिशन शिक्षण संवाद

नोट: मिशन शिक्षण संवाद परिवार में शामिल होने एवं अपना, अपने जनपद अथवा राज्य के आदर्श विद्यालयों का अनमोल रत्न में विवरण भेजने तथा मिशन शिक्षण संवाद से सम्बंधित शिकायत, सहयोग, सुझाव और विचार को मिशन शिक्षण संवाद के जनपद एडमिन अथवा राज्य प्रभारी अथवा 9458278429 अथवा 7017626809 और ई-मेल shikshansamvad@gmail.com पर भेज सकते हैं।

विमल कुमार
टीम मिशन शिक्षण संवाद
31-07-2019

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