मेघा आये

मेघा आये, मेघा आये।
काले-काले नभ पर छाये।
आँधी-तूफ़ान संग में लाये।
उमड़-घुमड़ कर शोर मचाएँ।
बरखा लाये, बरखा लाये।
काले-काले मेघा छाये.....

शीतल जल की नन्हीं बूँदें।
जब नभ से धरती पर आयें।
प्यासी धरा तृप्त हो जाए।
हरियाली चहुँओर है छाये।
धरती-अम्बर झूमे गायें।
मेघा आये, मेघा आये.....

पपीहा, मोर, तितली रंगीली।
कूके मस्त कोयलिया काली।
वन-उपवन की छटा निराली।
पुष्प सजी हर डाली-डाली।
जग में छायी है खुशहाली।
मेघा आये, मेघा आये.....

मेढक टर्र-टर्र राग सुनाएँ।
झींगुर अजब रागिनी गायें।
भँवरे गुंजन स्वर गुंजाएँ।
पशु-पक्षी भी धुन में गायें।
जुगनू रात जगमगा जाएँ।
मेघा आये, मेघा आये.....

नदियाँ, ताल-सरोवर, झीलें।
भरी हुई हैं जल से नीले।
आँख-मिचौली सूरज खेले।
चमकें चाँद-सितारे हौले।
इंद्रधनुष बादल बीच झाँके।
मेघा आये, मेघा आये.....

मेघा आये, मेघा आये।
काले-काले नभ पर छाये।
आँधी-तूफ़ान संग में लाये।
उमड़-घुमड़ कर शोर मचाएं।
बरखा लाये, बरखा लाये।
काले-काले मेघा छाये.....

रचयिता
सुप्रिया सिंह,
इं0 प्र0 अ0,
प्राथमिक विद्यालय-बनियामऊ 1,
विकास क्षेत्र-मछरेहटा,
जनपद-सीतापुर।

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