२१७~ अनमोल रत्न श्रीराम उच्च प्राथमिक विद्यालय सहजोरा रेहरा बाज़ार बलरामपुर
💎🏅अनमोल रत्न🏅💎
मित्रों आज हम आपका परिचय जनपद बलरामपुर से एक ऐसे आदर्श चरित्र अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई श्रीराम जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और व्यवहार कुशलता से हम सबको ऐसा प्रेरक संदेश दिया है कि यदि हम सभी शिक्षकों के बीच कुछ प्रतिशत भी अनुकरण करने लगे तो बेसिक शिक्षा की तश्वीर और तकदीर दोनों परिवर्तित रूप में नजर आने लगे।
अभी तक हमने कहावतों और कहानियों में तो सुना था लेकिन श्रीराम जी ने "यथा नाम तथा गुणा" वाक्य को प्रमाणित भी कर दिखाया है।
आज जहाँ बेसिक शिक्षा में अनेकों समस्याओं के बीच विद्यालय स्तर पर शिक्षकों के बीच आपसी सामन्जस्य की बहुत बड़ी चुनौतीपूर्ण समस्या है। कहीं यदि अपने कार्यों से सहायक को सम्मान मिलते नजर आया तो प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक को अनेकों उपाय कर नीचा दिखाना चाहता है। अथवा सभी के संगठित प्रयासों से कहीं प्रधानाध्यापक को कोई सम्मान मिल गया तो अन्य साथी विद्यालय की प्रगति छोड़ अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत करने में जुट जाते हैं। इन सब कार्यों से विद्यालय पर पूर्ण स्टाफ़ होने के बाबजूद छुट्टी जैसी छोटी-छोटी समस्याओं के आगे शिक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की उपयोगिता बहुत पीछे छूट जाती है। ईर्ष्या की स्थिति यहाँ तक देखी गयी है कि स्कूल छोड़ो पूरे जनपद में भी यदि कोई दूसरा शिक्षक अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ रहा है तो बहुत घनिष्ठ मित्र भी शत्रु जैसी चुभन पैदा करने लगता है। फिर कोशिश शुरू होती है ऐसे चक्रव्यूह की, किसी तरह इसे एक बार साम, दाम, दण्ड और भेद के जाल से नीचा दिखा पायें तो हमें तीनों लोकों का सुख और सम्मान प्राप्त हो जाये। भले ही तब तक तीसरा अनमोल रत्न अपनी चमक के साथ तैयार हो जाये। लेकिन हम है कि अपने लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
लेकिन इन सब विविधताओं के बीच भाई श्रीराम जी ने त्याग और कर्म के समर्पण की शक्ति से लगातार अपने साथ काम करने वाले तीन-तीन प्रधानाध्यापक जी को सम्मानित करवाया बल्कि विद्यालय और स्वयं को भी शिखर स्थान पर स्थापित कर सम्मान दिलाया। फिर भी एक ही चाहत नजर आयी शिक्षा का उत्थान हो और शिक्षक का सम्मान हो। जो हम सब के लिए आदर्श और अनुकरणीय है।
ऐसे आदर्श शिक्षक चरित्र को हम मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से बार-बार प्रणाम करते हैं।
तो आइये देखते हैं श्रीराम जी का आदर्श शिक्षक जीवन चरित्र:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2055610114716575&id=1598220847122173
मैं सहायक अध्यापक श्रीराम उच्च प्राथमिक विद्यालय सहजोरा रेहरा बाज़ार बलरामपुर से।
मेरी प्रथम नियुक्ति-2010 में प्राथमिक विद्यालय घोघरा, रेहरा बाजार में सहायक अध्यापक पद पर हुई, मैं उस विद्यालय में सभी बच्चों के साथ खेल-खेल में गति-विधि आधारित शिक्षा देना प्रारम्भ किया और मैं अपने इस विद्यालय में बहुत से नवाचार के माध्यम से शिक्षा प्रदान किया सभी बच्चे रुचि पूर्ण शिक्षा ग्रहण करना प्रारंभ किये। बच्चों की उपस्तिथि संख्या बढ़ने लगी गुणवत्ता परक शिक्षा के कारण प्रधानाध्यापक श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी जी को आदर्श शिक्षक का प्रशस्ति प्रमाण पत्र श्रीमान जिलाधिकारी महोदय द्वारा प्रदान किया गया इसके बाद मेरे इस विद्यालय के एक बच्चा जिसका नाम अनिल कुमार वर्मा का सिलेक्शन विद्याज्ञान परीक्षा में हुआ इसके बाद 2013 मेरा समायोजन स्थानांतरण प्राथमिक विद्यालय धोबहा में हुआ जो समग्र लोहिया ग्राम था, आये दिन उस गांव में कोई ना कोई टीम जांच करने आया करती थी जो भी टीम आती थी वह विद्यालय जरूर देखती थी। मैंने विद्यालय को साफ करवाकर विद्यालय की चाहरदीवारी को डिस्टेंपर से पुताई कराया सूंदर आकर्षक मनमोहक TLM बनवाया विद्यालय में फूल खरीद कर लगाया जो भी टीम आती थी विद्यालय को देख कर बहुत खुश होती थी और हमें प्रोत्साहित करते थे विद्यालय में एक दिन BEO साहब श्री रंजीत कुमार जी निरीक्षण करने आये और विद्यालय एवं विद्यालय वातावरण को देख कर बहुत खुश हुए बच्चों से जितने प्रश्न किये बच्चों ने उसका उत्तर दिए कक्षा-2 की छात्रा द्वारा अंग्रेजी को बिना रुके पढ़ना और गणित का सवाल हल करना आदि पा कर बहुत खुश हुए और श्रीमान जिलाधिकारी महोदय श्री मुकेश चंद्र द्वारा मुझे 5 सितंबर 2014 को डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के सुभ अवसर पर आदर्श शिक्षक का प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। मेरे इस विद्यालय की एक बच्ची का नाम भी विद्याज्ञान में आया लेकिन अभिभावक द्वारा द्वितीय परीक्षा में प्रतिभाग नहीं कराया गया इसके बाद मेरा प्रमोशन दिसंबर-2014 में सहायक अध्यापक पद पर उ०प्रा०विद्यालय सहजोरा, रेहरा बाजार, बलरामपुर में हुआ मैं विद्यालय परिसर को देख कर बहुत खुश हुआ लेकिन विद्यालय में कोई खास आकर्षक नहीं दिखा। विद्यालय में कुल 06 स्टॉफ थे।
1- श्री अब्दुर्रज़्ज़ाक़ (HT)
2- श्री रामकरन (At)
3- श्री महेश वर्मा अनुदेशक
4- श्री मघई राम अनुदेशक
5- श्री शिव पूजन वर्मा अनु0
6- श्री मुस्ताक अली और मैं अपने तरीके से पढ़ाना प्रारम्भ किया सबसे पहले सभी अध्यापकों से सुझाव लिया और प्रधानाध्यापक श्री अबुर्ररज़्ज़ाक़ गुरु जी से विद्यालय विकास पर विचार-विमर्श किया कि विद्यालय को कैसे आकर्षिक बनाया जाए, उपस्तिथि एवं नामांकन कैसे बढ़ाया जाए आदि बिन्दुओं पर चर्चा की गयी। प्रधानाध्यापक के सहयोग से मैंने रंगाई-पुताई का कार्य अपने ढंग से करने को कहा जिस पर सभी की सहमति बनी जिसका सम्पूर्ण खर्च प्रधानाध्यापक द्वारा दिया गया। मैं अपने अनुरूप विद्यालय को आकर्षिक सुंदर पेंटिंग हेतु डिस्टेंपर एवं पेण्ट से रंगाना शुरू किया विद्यालय की चहारदीवारी, बरामदों, कक्षा-कक्ष को आकर्षण युक्त बनाने के लिए दीवालों पर विषय गत सुंदर विभिन्न रंगों में(TLM) बनाये गए चित्र, सदवाक्य लिखाये गए। जो विद्यालय वातावरण को दूर से ही आकर्षक सुन्दर मनमोहक बनाता है। अब जो कोई आता है इस विद्यालय को देख कर बहुत खुश होता है इसी विद्यालय को देख कर प्राधानाध्यापक श्री अब्दुर्रज़्ज़ाक़ को श्रीमान जिला बेसिक शिक्षाधिकारी श्री जय सिंह द्वारा आदर्श शिक्षक का प्रशस्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। मैं विद्यालय में ठहराव उपस्थिति बढ़ाने के लिए बच्चों के घर-घर जाकर अभिभावकों से मिले बच्चों की समस्या सुना और उन्हें डेली विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया तथा बच्चों का सहयोग करने के लिए भी प्रेरित किया, विद्यालय के गेट पर झंडे लगाए गए जिससे विद्यालय और आकर्षित दिखने लगा। सत्र 2016 -17 में ट्रांजिसन कार्यक्रम कक्षा-8 उत्तीर्ण सभी छात्र -छात्राओं का कक्षा-9 में शत प्रतिशत नामांकन (प्रवेश ) में सराहनीय योगदान पर यूनिसेफ निदेशक एवं राज्य परियोजना निदेशक द्वारा हमें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त मैं प्रत्येक क्लास के प्रत्येक छात्रों को स्वयं करके सीखने के लिए प्रेरित किया और बच्चों को स्वयं के रूपये से थर्माकोल पेंट विभिन्न रंग के पेपर आदि खरीद कर दिया और बच्चों से विज्ञान, गणित सामाजिक विषय, आदि विषयों से सम्बन्धित मॉडल, चित्र, फिगर, बनवाना प्रारम्भ किया और बच्चे रुचि पूर्वक कार्य करके आकर्षण मॉडल तैयार करके अपने-अपने कक्षा -कक्ष के दीवालों पर सजा कर रखें है इसके अतिरिक्त मैं छात्रों को समान खरीद कर रचनात्मक क्रियात्मक कार्य समय-समय पर करवाता रहता हूँ जिससे बच्चों का मानसिक बौद्धिक विकास हो सके और आगे चल कर अपना अपने जिले एवं देश का नाम रोशन कर सके मेरे द्वारा बनवाया गया JCB, प्रेसर ट्रक एवं वाटर पम्पिंग सेट कार्य को लोंगों द्वारा बहुत सराहा गया भविष्य में ऐसे नए नए कार्य बच्चों द्वारा कराते रहेंगे। मैं बच्चों के बैठने की समस्या को देख कर सभी अध्यापकों से चर्चा किया कि अगर कोई पेड़ यूकेलिप्टस का कटवाकर फर्नीचर बनवाया जाय तो सभी तो नहीं, पर कुछ बच्चे जरूर फर्नीचर पर बैठ कर पढ़ सकेंगे और प्रधानाध्यापक द्वारा SMC का बैठक कराकर प्रस्ताव तैयार कराकर श्रीमान जिला बेसिक शिक्षाधिकारी महोदय से आदेशित करवाया और पेड़ कटवा कर कुछ फर्नीचर बने जिसका खर्च ग्राम प्रधान श्री विजयराम यादव द्वारा किया गया मैं बच्चों के मनोनुकूल कार्य करना प्रारंभ किया। मेरे पढ़ाने के तौर -तरीके से बच्चे बहुत खुश हुए तथा अपने-अपने घरों में मेरी चर्चा करने लगे। अधिक बच्चे होने के कारण प्रार्थना में सभी बच्चों तक ध्वनि नही पहुँच पाती थी और मैंने प्रधानाध्यापक जी एवं अन्य अध्यापकों से चर्चा किया जिसके उपरांत प्रधानाध्यापक जी द्वारा 2 माइक 2 साउंड (हॉर्न) श्री अब्दुर्रज़्ज़ाक़ द्वारा स्वयं के पैसे से लाया गया। मैं प्रत्येक दिन कुछ न कुछ नया कार्य स्वयं करता हूँ और बच्चों से स्वयं करवाता हूँ ताकि बच्चों में कुछ करके सीखने का मानसिक बौद्धिक विकास हो सके बच्चों को उन्हीं के सरल भाषा में पढ़ाना, सभी को प्रश्न करने का मौका देना, मॉर्निंग असेम्बली प्रश्नोत्तरी करवाना, बच्चों के वेश- भूषा बालिकाओं के बाल की चोटी टाइ बेल्ट आई डी कार्ड आदि का प्रतिदिन अवलोकन करना। बालिकाओं को पेंटिंग एवं कढ़ाई का ज्ञान मेरे द्वारा स्वयं दिया जाता है। मैंने विद्यालय को सजाने के लिए फूल पौधे लाकर लगवाए। मैंने विद्यालय में फोन बुक बनवाया और अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों के विषय में जानकारी लेते है।अनुपस्थिति छात्रों को पता कर उनको अनुपस्थिति के लाभ-हानि से अवगत कराता हूँ। मैं सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वयं तैयार करवाता हूँ और उनका प्रदर्शन करवाता हूँ ताकि बच्चों के अंदर भय और शर्म दूर हो सके और आगे चल कर देश के अच्छे नागरिक बन सके। मैं अपने रूपये से सांस्कृतिक कार्यक्रम नाटक, डांस, गीत अभिनय के अनुसार समस्त ड्रेस खरीद कर रखा हूँ ताकि बच्चे अभिनय को अच्छी तरह से फुल ड्रेस में रोल प्रदर्शन कर सके। 26-जनवरी, 15-अगस्त, वार्षिक कार्यक्रम खण्ड स्तरीय कार्य क्रम में प्रतिभाग फुल ड्रेस में बच्चे करके सभी का मन मोह लेते है और इन्हीं सभी कार्यों को देख कर अभिभावक अपने बच्चों का नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवा कर हमारे विद्यालय में लिखवाते है।
मेरे जाने के पहले कुल 199 नामांकन हुआ था मैं इस विद्यालय में दिसंबर(सत्र 2013 -14) में कार्यभार ग्रहण किया जैसे
2013-14:----199
2014-15-----220
2015-16-----230
2016-17----250
2017-18----352
जब मैं विद्यालय में गया कार्य भर ग्रहण किया था तो उस समय 199 छात्र नामांकित थे और आज 352 छात्र नामांकित है। उपरोक्त नामांकन करके मेरा विद्यालय आज जिले में प्रथम स्थान पर है। जो विद्यालय द्वारा किये गए नवाचार कार्यों का अच्छा परिणाम है। आज तक मैं कुल 3 स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य किया और तीनों स्कूल के प्रधानाध्यापक को पुरस्कृत किया गया आज अभिभावक हमारे विद्यालय से बहुत खुश हैं।
👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
👫 आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।
साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
निवेदन:- मिशन शिक्षण संवाद की समस्त गतिविधियाँ निःशुल्क, स्वैच्छिक एवं स्वयंसेवी हैं। जहाँ हम आप सब मिलकर शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यदि कहीं कोई लोभ- लालच या पद प्रतिष्ठा की बात कर, अपना व्यापारिक हित साधने की कोशिश कर रहा हो, तो उससे सावधान रह कर टीम मिशन शिक्षण संवाद को मिशन के नम्बर-9458278429 पर अवश्य अवगत करा कर सहयोग करें।
धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
03/04/2018
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मित्रों आज हम आपका परिचय जनपद बलरामपुर से एक ऐसे आदर्श चरित्र अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई श्रीराम जी से करा रहे हैं। जिन्होंने अपनी सकारात्मक सोच और व्यवहार कुशलता से हम सबको ऐसा प्रेरक संदेश दिया है कि यदि हम सभी शिक्षकों के बीच कुछ प्रतिशत भी अनुकरण करने लगे तो बेसिक शिक्षा की तश्वीर और तकदीर दोनों परिवर्तित रूप में नजर आने लगे।
अभी तक हमने कहावतों और कहानियों में तो सुना था लेकिन श्रीराम जी ने "यथा नाम तथा गुणा" वाक्य को प्रमाणित भी कर दिखाया है।
आज जहाँ बेसिक शिक्षा में अनेकों समस्याओं के बीच विद्यालय स्तर पर शिक्षकों के बीच आपसी सामन्जस्य की बहुत बड़ी चुनौतीपूर्ण समस्या है। कहीं यदि अपने कार्यों से सहायक को सम्मान मिलते नजर आया तो प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक को अनेकों उपाय कर नीचा दिखाना चाहता है। अथवा सभी के संगठित प्रयासों से कहीं प्रधानाध्यापक को कोई सम्मान मिल गया तो अन्य साथी विद्यालय की प्रगति छोड़ अपनी प्रतिष्ठा को मजबूत करने में जुट जाते हैं। इन सब कार्यों से विद्यालय पर पूर्ण स्टाफ़ होने के बाबजूद छुट्टी जैसी छोटी-छोटी समस्याओं के आगे शिक्षण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों की उपयोगिता बहुत पीछे छूट जाती है। ईर्ष्या की स्थिति यहाँ तक देखी गयी है कि स्कूल छोड़ो पूरे जनपद में भी यदि कोई दूसरा शिक्षक अपनी मेहनत और लगन से आगे बढ़ रहा है तो बहुत घनिष्ठ मित्र भी शत्रु जैसी चुभन पैदा करने लगता है। फिर कोशिश शुरू होती है ऐसे चक्रव्यूह की, किसी तरह इसे एक बार साम, दाम, दण्ड और भेद के जाल से नीचा दिखा पायें तो हमें तीनों लोकों का सुख और सम्मान प्राप्त हो जाये। भले ही तब तक तीसरा अनमोल रत्न अपनी चमक के साथ तैयार हो जाये। लेकिन हम है कि अपने लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
लेकिन इन सब विविधताओं के बीच भाई श्रीराम जी ने त्याग और कर्म के समर्पण की शक्ति से लगातार अपने साथ काम करने वाले तीन-तीन प्रधानाध्यापक जी को सम्मानित करवाया बल्कि विद्यालय और स्वयं को भी शिखर स्थान पर स्थापित कर सम्मान दिलाया। फिर भी एक ही चाहत नजर आयी शिक्षा का उत्थान हो और शिक्षक का सम्मान हो। जो हम सब के लिए आदर्श और अनुकरणीय है।
ऐसे आदर्श शिक्षक चरित्र को हम मिशन शिक्षण संवाद परिवार की ओर से बार-बार प्रणाम करते हैं।
तो आइये देखते हैं श्रीराम जी का आदर्श शिक्षक जीवन चरित्र:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2055610114716575&id=1598220847122173
मैं सहायक अध्यापक श्रीराम उच्च प्राथमिक विद्यालय सहजोरा रेहरा बाज़ार बलरामपुर से।
मेरी प्रथम नियुक्ति-2010 में प्राथमिक विद्यालय घोघरा, रेहरा बाजार में सहायक अध्यापक पद पर हुई, मैं उस विद्यालय में सभी बच्चों के साथ खेल-खेल में गति-विधि आधारित शिक्षा देना प्रारम्भ किया और मैं अपने इस विद्यालय में बहुत से नवाचार के माध्यम से शिक्षा प्रदान किया सभी बच्चे रुचि पूर्ण शिक्षा ग्रहण करना प्रारंभ किये। बच्चों की उपस्तिथि संख्या बढ़ने लगी गुणवत्ता परक शिक्षा के कारण प्रधानाध्यापक श्री भगवती प्रसाद द्विवेदी जी को आदर्श शिक्षक का प्रशस्ति प्रमाण पत्र श्रीमान जिलाधिकारी महोदय द्वारा प्रदान किया गया इसके बाद मेरे इस विद्यालय के एक बच्चा जिसका नाम अनिल कुमार वर्मा का सिलेक्शन विद्याज्ञान परीक्षा में हुआ इसके बाद 2013 मेरा समायोजन स्थानांतरण प्राथमिक विद्यालय धोबहा में हुआ जो समग्र लोहिया ग्राम था, आये दिन उस गांव में कोई ना कोई टीम जांच करने आया करती थी जो भी टीम आती थी वह विद्यालय जरूर देखती थी। मैंने विद्यालय को साफ करवाकर विद्यालय की चाहरदीवारी को डिस्टेंपर से पुताई कराया सूंदर आकर्षक मनमोहक TLM बनवाया विद्यालय में फूल खरीद कर लगाया जो भी टीम आती थी विद्यालय को देख कर बहुत खुश होती थी और हमें प्रोत्साहित करते थे विद्यालय में एक दिन BEO साहब श्री रंजीत कुमार जी निरीक्षण करने आये और विद्यालय एवं विद्यालय वातावरण को देख कर बहुत खुश हुए बच्चों से जितने प्रश्न किये बच्चों ने उसका उत्तर दिए कक्षा-2 की छात्रा द्वारा अंग्रेजी को बिना रुके पढ़ना और गणित का सवाल हल करना आदि पा कर बहुत खुश हुए और श्रीमान जिलाधिकारी महोदय श्री मुकेश चंद्र द्वारा मुझे 5 सितंबर 2014 को डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के सुभ अवसर पर आदर्श शिक्षक का प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। मेरे इस विद्यालय की एक बच्ची का नाम भी विद्याज्ञान में आया लेकिन अभिभावक द्वारा द्वितीय परीक्षा में प्रतिभाग नहीं कराया गया इसके बाद मेरा प्रमोशन दिसंबर-2014 में सहायक अध्यापक पद पर उ०प्रा०विद्यालय सहजोरा, रेहरा बाजार, बलरामपुर में हुआ मैं विद्यालय परिसर को देख कर बहुत खुश हुआ लेकिन विद्यालय में कोई खास आकर्षक नहीं दिखा। विद्यालय में कुल 06 स्टॉफ थे।
1- श्री अब्दुर्रज़्ज़ाक़ (HT)
2- श्री रामकरन (At)
3- श्री महेश वर्मा अनुदेशक
4- श्री मघई राम अनुदेशक
5- श्री शिव पूजन वर्मा अनु0
6- श्री मुस्ताक अली और मैं अपने तरीके से पढ़ाना प्रारम्भ किया सबसे पहले सभी अध्यापकों से सुझाव लिया और प्रधानाध्यापक श्री अबुर्ररज़्ज़ाक़ गुरु जी से विद्यालय विकास पर विचार-विमर्श किया कि विद्यालय को कैसे आकर्षिक बनाया जाए, उपस्तिथि एवं नामांकन कैसे बढ़ाया जाए आदि बिन्दुओं पर चर्चा की गयी। प्रधानाध्यापक के सहयोग से मैंने रंगाई-पुताई का कार्य अपने ढंग से करने को कहा जिस पर सभी की सहमति बनी जिसका सम्पूर्ण खर्च प्रधानाध्यापक द्वारा दिया गया। मैं अपने अनुरूप विद्यालय को आकर्षिक सुंदर पेंटिंग हेतु डिस्टेंपर एवं पेण्ट से रंगाना शुरू किया विद्यालय की चहारदीवारी, बरामदों, कक्षा-कक्ष को आकर्षण युक्त बनाने के लिए दीवालों पर विषय गत सुंदर विभिन्न रंगों में(TLM) बनाये गए चित्र, सदवाक्य लिखाये गए। जो विद्यालय वातावरण को दूर से ही आकर्षक सुन्दर मनमोहक बनाता है। अब जो कोई आता है इस विद्यालय को देख कर बहुत खुश होता है इसी विद्यालय को देख कर प्राधानाध्यापक श्री अब्दुर्रज़्ज़ाक़ को श्रीमान जिला बेसिक शिक्षाधिकारी श्री जय सिंह द्वारा आदर्श शिक्षक का प्रशस्ति प्रमाण पत्र प्रदान किया गया। मैं विद्यालय में ठहराव उपस्थिति बढ़ाने के लिए बच्चों के घर-घर जाकर अभिभावकों से मिले बच्चों की समस्या सुना और उन्हें डेली विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित किया तथा बच्चों का सहयोग करने के लिए भी प्रेरित किया, विद्यालय के गेट पर झंडे लगाए गए जिससे विद्यालय और आकर्षित दिखने लगा। सत्र 2016 -17 में ट्रांजिसन कार्यक्रम कक्षा-8 उत्तीर्ण सभी छात्र -छात्राओं का कक्षा-9 में शत प्रतिशत नामांकन (प्रवेश ) में सराहनीय योगदान पर यूनिसेफ निदेशक एवं राज्य परियोजना निदेशक द्वारा हमें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त मैं प्रत्येक क्लास के प्रत्येक छात्रों को स्वयं करके सीखने के लिए प्रेरित किया और बच्चों को स्वयं के रूपये से थर्माकोल पेंट विभिन्न रंग के पेपर आदि खरीद कर दिया और बच्चों से विज्ञान, गणित सामाजिक विषय, आदि विषयों से सम्बन्धित मॉडल, चित्र, फिगर, बनवाना प्रारम्भ किया और बच्चे रुचि पूर्वक कार्य करके आकर्षण मॉडल तैयार करके अपने-अपने कक्षा -कक्ष के दीवालों पर सजा कर रखें है इसके अतिरिक्त मैं छात्रों को समान खरीद कर रचनात्मक क्रियात्मक कार्य समय-समय पर करवाता रहता हूँ जिससे बच्चों का मानसिक बौद्धिक विकास हो सके और आगे चल कर अपना अपने जिले एवं देश का नाम रोशन कर सके मेरे द्वारा बनवाया गया JCB, प्रेसर ट्रक एवं वाटर पम्पिंग सेट कार्य को लोंगों द्वारा बहुत सराहा गया भविष्य में ऐसे नए नए कार्य बच्चों द्वारा कराते रहेंगे। मैं बच्चों के बैठने की समस्या को देख कर सभी अध्यापकों से चर्चा किया कि अगर कोई पेड़ यूकेलिप्टस का कटवाकर फर्नीचर बनवाया जाय तो सभी तो नहीं, पर कुछ बच्चे जरूर फर्नीचर पर बैठ कर पढ़ सकेंगे और प्रधानाध्यापक द्वारा SMC का बैठक कराकर प्रस्ताव तैयार कराकर श्रीमान जिला बेसिक शिक्षाधिकारी महोदय से आदेशित करवाया और पेड़ कटवा कर कुछ फर्नीचर बने जिसका खर्च ग्राम प्रधान श्री विजयराम यादव द्वारा किया गया मैं बच्चों के मनोनुकूल कार्य करना प्रारंभ किया। मेरे पढ़ाने के तौर -तरीके से बच्चे बहुत खुश हुए तथा अपने-अपने घरों में मेरी चर्चा करने लगे। अधिक बच्चे होने के कारण प्रार्थना में सभी बच्चों तक ध्वनि नही पहुँच पाती थी और मैंने प्रधानाध्यापक जी एवं अन्य अध्यापकों से चर्चा किया जिसके उपरांत प्रधानाध्यापक जी द्वारा 2 माइक 2 साउंड (हॉर्न) श्री अब्दुर्रज़्ज़ाक़ द्वारा स्वयं के पैसे से लाया गया। मैं प्रत्येक दिन कुछ न कुछ नया कार्य स्वयं करता हूँ और बच्चों से स्वयं करवाता हूँ ताकि बच्चों में कुछ करके सीखने का मानसिक बौद्धिक विकास हो सके बच्चों को उन्हीं के सरल भाषा में पढ़ाना, सभी को प्रश्न करने का मौका देना, मॉर्निंग असेम्बली प्रश्नोत्तरी करवाना, बच्चों के वेश- भूषा बालिकाओं के बाल की चोटी टाइ बेल्ट आई डी कार्ड आदि का प्रतिदिन अवलोकन करना। बालिकाओं को पेंटिंग एवं कढ़ाई का ज्ञान मेरे द्वारा स्वयं दिया जाता है। मैंने विद्यालय को सजाने के लिए फूल पौधे लाकर लगवाए। मैंने विद्यालय में फोन बुक बनवाया और अभिभावकों से संपर्क कर बच्चों के विषय में जानकारी लेते है।अनुपस्थिति छात्रों को पता कर उनको अनुपस्थिति के लाभ-हानि से अवगत कराता हूँ। मैं सांस्कृतिक कार्यक्रम स्वयं तैयार करवाता हूँ और उनका प्रदर्शन करवाता हूँ ताकि बच्चों के अंदर भय और शर्म दूर हो सके और आगे चल कर देश के अच्छे नागरिक बन सके। मैं अपने रूपये से सांस्कृतिक कार्यक्रम नाटक, डांस, गीत अभिनय के अनुसार समस्त ड्रेस खरीद कर रखा हूँ ताकि बच्चे अभिनय को अच्छी तरह से फुल ड्रेस में रोल प्रदर्शन कर सके। 26-जनवरी, 15-अगस्त, वार्षिक कार्यक्रम खण्ड स्तरीय कार्य क्रम में प्रतिभाग फुल ड्रेस में बच्चे करके सभी का मन मोह लेते है और इन्हीं सभी कार्यों को देख कर अभिभावक अपने बच्चों का नाम प्राइवेट स्कूलों से कटवा कर हमारे विद्यालय में लिखवाते है।
मेरे जाने के पहले कुल 199 नामांकन हुआ था मैं इस विद्यालय में दिसंबर(सत्र 2013 -14) में कार्यभार ग्रहण किया जैसे
2013-14:----199
2014-15-----220
2015-16-----230
2016-17----250
2017-18----352
जब मैं विद्यालय में गया कार्य भर ग्रहण किया था तो उस समय 199 छात्र नामांकित थे और आज 352 छात्र नामांकित है। उपरोक्त नामांकन करके मेरा विद्यालय आज जिले में प्रथम स्थान पर है। जो विद्यालय द्वारा किये गए नवाचार कार्यों का अच्छा परिणाम है। आज तक मैं कुल 3 स्कूल में सहायक अध्यापक के रूप में कार्य किया और तीनों स्कूल के प्रधानाध्यापक को पुरस्कृत किया गया आज अभिभावक हमारे विद्यालय से बहुत खुश हैं।
👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
👫 आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।
साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
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धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
03/04/2018
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3- मिशन शिक्षण संवाद ब्लॉग
@ http://shikshansamvad.blogspot.in/
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4- ट्विटर
@ https://twitter.com/shikshansamvad
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5- यू-ट्यूब
@ https://youtu.be/aYDqNoXTWdc
अपनी उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.:- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।
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