चलो पढ़ने स्कूल जी
मार-पिटाई भूल जी,
चलो पढ़ने स्कूल जी।
रेशमा, सुधा, नजमा, पूजा,
आओ-आओ सब साथ चलें।
अपना-अपना बस्ता ले लो,
जाना है स्कूल छांव तले।
खूब पढ़ना और ना करना,
बातें कभी फिजूल जी।
शबनम, खुशबू, मुस्कान, निशा,
साथ उन्हें भी आज ले चलो।
छूटे ना कोई सहेलियाँ,
सबको लेकर तुम चले चलो।
साथ पढ़ेंगे, साथ बढ़ेंगे,
होगी नहीं मुश्किल जी।
हम बगिया के फूलों जैसी,
चमन तो खूब महकाएँगे।
पढ़ेंगे-लिखेंगे इतना कि,
आसमान में लहराएँगे।
दुनिया भी कहेगी देखना,
बेटियाँ नहीं शूल जी।
रचयिता
मेराज रज़ा,
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय ब्रह्मपुरा,
विकास खण्ड - मोहिउद्दीननगर,
जिला-समस्तीपुर,
राज्य-बिहार।
चलो पढ़ने स्कूल जी।
रेशमा, सुधा, नजमा, पूजा,
आओ-आओ सब साथ चलें।
अपना-अपना बस्ता ले लो,
जाना है स्कूल छांव तले।
खूब पढ़ना और ना करना,
बातें कभी फिजूल जी।
शबनम, खुशबू, मुस्कान, निशा,
साथ उन्हें भी आज ले चलो।
छूटे ना कोई सहेलियाँ,
सबको लेकर तुम चले चलो।
साथ पढ़ेंगे, साथ बढ़ेंगे,
होगी नहीं मुश्किल जी।
हम बगिया के फूलों जैसी,
चमन तो खूब महकाएँगे।
पढ़ेंगे-लिखेंगे इतना कि,
आसमान में लहराएँगे।
दुनिया भी कहेगी देखना,
बेटियाँ नहीं शूल जी।
रचयिता
मेराज रज़ा,
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय ब्रह्मपुरा,
विकास खण्ड - मोहिउद्दीननगर,
जिला-समस्तीपुर,
राज्य-बिहार।
super sir ji
ReplyDeleteAwesome poem
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