विद्यालय हो प्यारा

       विद्या मन्दिर ये हमारा,
       हमको जान से लागे प्यारा।
जब हम आये, नहीं पता था ,               
विद्यालय क्या होता है।
याद बहुत घर की आती थी
         मन खोया सा रहता था ।
यहीं मिला घर जैसा हमको
              ढेरों प्यार -दुलार।।
विद्या मन्दिर ये.....लागे प्यारा।

यहीं पढ़े और यहीं पे खेले
        यहीं मिला शिक्षा और ज्ञान।
यहीं पे सीखे गणित -अंग्रेजी
       क्या होता हिन्दी -विज्ञान ।।
नित -नित बढ़े विद्यालय हमारा
             हम सबकी पहचान।।
विद्या मन्दिर ये....लागे प्यारा।

दूध और फल भी मिलता है,
             मिले आयरन गोली।
मिलकर साथ में पीते- खाते
          बनकर हम हमजोली।
साथ में पढ़ना ,साथ में रहना
          हुआ न कोई भेदभाव।।
   विद्या मन्दिर ये.....लगे प्यारा।
 
मात-पिता जैसे गुरु मेरे,
प्यार से शिक्षा देते है।
कर्तव्य पथ पर नित आगे बढ़ें हम
यही तो हमे सिखाते हैं।
आशीष मिले जो इनका हमको
           जीवन हो साकार।।
     विद्या मन्दिर ये हमारा
      हमको जान से लागे प्यारा ।

रचयिता
डॉ0 विभा शुक्ला,
प्रधानाध्यापक,
अभिनव प्राथमिक विद्यालय पुरानी बाजार,
विकास खण्ड-बदलापुर, 
जनपद-जौनपुर ।

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