शिक्षा-संकल्प
सुशिक्षित बने समाज
यही है अपना ध्येय।
चुनौती कर स्वीकार
मिलेगा जय का श्रेय।।
हमारी होगी निश्चित जीत
सबल करना है संकल्प।
विघ्न करने सारे दूर
तनिक पथ कर परिकल्प।
जलाकर आशा के दीप
भरो मन में यह विश्वास।
विवशता हो हर दूर
भरो तुम ऐसा ज्ञान प्रकाश।।
अरे सोचो अभिनव राह
करो तुम सक्षम नेतृत्व।
सभी का करना है साथ
परस्पर है सह अस्तित्व।।
सृजन मंजिल होगी पास
सृजन के गूँजेंगे गीत।
हमारी निष्ठा औ ईमान
दिलाएँगे फिर जीत।।
राष्ट्र का करने निर्माण
बनें हम प्रस्तर मील।
उगा दो ज्ञान का दिनमान
कहे धरती अम्बर नील।।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
यही है अपना ध्येय।
चुनौती कर स्वीकार
मिलेगा जय का श्रेय।।
हमारी होगी निश्चित जीत
सबल करना है संकल्प।
विघ्न करने सारे दूर
तनिक पथ कर परिकल्प।
जलाकर आशा के दीप
भरो मन में यह विश्वास।
विवशता हो हर दूर
भरो तुम ऐसा ज्ञान प्रकाश।।
अरे सोचो अभिनव राह
करो तुम सक्षम नेतृत्व।
सभी का करना है साथ
परस्पर है सह अस्तित्व।।
सृजन मंजिल होगी पास
सृजन के गूँजेंगे गीत।
हमारी निष्ठा औ ईमान
दिलाएँगे फिर जीत।।
राष्ट्र का करने निर्माण
बनें हम प्रस्तर मील।
उगा दो ज्ञान का दिनमान
कहे धरती अम्बर नील।।
रचयिता
सतीश चन्द्र "कौशिक"
प्रधानाध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय अकबापुर,
विकास क्षेत्र-पहला,
जनपद -सीतापुर।
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