नयी सुबह

दुनिया  वालों  से कह दो, ये वक्त बदलने दो।
नयी सुबह होगी, थोड़ी रात  गुजरने   दो।

उड़ान  अभी  तो  शुरू  हुई , पंख  पसारे ही  है।
विस्तार  गगन तक करना है, थोड़ा क्षितिज निकलने दो।
नयी सुबह होगी, थोड़ी रात  गुजारने   दो।

रोना  छोड़  दिया  इन नैनों  ने, जबसे  सपने  सजाये है।
होठो  पर  स्मित  की  किरणें ,  थोड़ी और  निखरने  दो।
नयी सुबह होगी, थोड़ी रात  गुजरने   दो।

बना   लिया  अपनी  कमजोरी  को, मैंने  अपनी  ताकत।
हार  न  मानेंगे किस्मत , को  मुझसे  लड़ने   दो।
नयी सुबह होगी, थोड़ी रात  गुजरने  दो।

राहें  जितनी  होगी  मुश्किल,  मंजिल उतनी  सुखद  होगी
गिरने  दो  मुझे  हाथ  न  दो, मुझे  खुद  ही  सम्हालने दो।
नयी सुबह होगी, थोड़ी रात  गुजरने   दो।

रण  मैदान  न  छोड़ेंगे  हम, संघर्षों  से  निकलेंगे ।
सांस   चलें  तक  लड़ना  है, थोड़ा  रक्त  निकलने  दो।
नयी सुबह होगी , थोड़ी रात  गुजरने  दो।

मंजिल  अपनी  दूर  नहीं,  न  हम  थकने  वाले  हैं।
जंजीर  लगी  इन पैरो  से, छाले   और   निकलने  दो।
नयी सुबह होगी, थोड़ी रात  गुजरने   दो।

सब  कहते  हैं  भाग्य  प्रबल,  हम  गीता के  अनुयायी है।
होगी  जीत  या  हार,  फैसला रब को  करने  दो।
नयी सुबह होगी, थोड़ी रात  गजरने  दो ।

रचयिता
बिधु सिंह, 
सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय गढी़ चौखण्ड़ी, 
विकास खण्ड-बिसरख,               
जनपद-गौतमबुद्धनगर।

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