स्कूल चलो

खेल-खेल में गजब पढ़ाई
             यह है मेरा मन्तर छू
बहुत सरल काम है ये साथी
           बन जा लाखों में एक तू
मुफ्त किताबें, मुफ्त में खाना
           मुफ्त स्वेटर,मुफ्त जूता
पर शिक्षा में देर है
            स्कूल है गाँव-गाँव में
फिर भी क्यों अंधेर है?
            कुछ महीनों की बात है मित्रों
जब चाहें शुरुआत करो
         बच्चे कहाँ-कहाँ पढ़ रहे हैं
गाँव-गाँव में पता करो।
           नम्बर-शम्बर, जोड़-घटाना
गुणा-भाग आसान करो।
          खेल-खेल में सब कुछ हासिल
हर मुश्किल को पार करो।
            नटखट मुन्नी पढ़ न पाए,
इसमें सब की हार है।
            किसी और को दोष न देंगे,
हम ही जिम्मेवार हैं।
             नाम लिखा है ,
स्कूल में सब का।
          फिर भी यह अफसोस है,
आधे उनमें पढ़ न पाते,
        किसके सर का दोष है?
गाँव-गाँव और गली-गली में,
          माँ-बाबा से बात करो।
क्या सब बच्चे स्कूल जाते,
        घर-घर जा के पता करो।
 बच्चों को टोली में बाँटो,
          यूँ पढ़ना आसान बने।
खेल- खिलाओ, पाठ पढ़ाओ ,
        देखो कैसे काम बने।।

रचयिता
सुशील शर्मा,
प्राथमिक विद्यालय फ़िरोज़ाबाद,
विकास क्षेत्र-सरसावा,
जनपद-सहारनपुर।

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