२२१~ बबलू सोनी सहायक अध्यापक, प्राथमिक विद्यालय कसरॉव विकास खण्ड-हथगाम, जनपद- फ़तेहपुर, उ0प्र0
💎🏅अनमोल रत्न🏅💎
मित्रों आज हम आपका परिचय मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जनपद-फतेहपुर से बेसिक शिक्षा के अनमोल रत्न शिक्षक साथी भाई बबलू सोनी जी से करा रहे हैं। जिनकी सकारात्मक सोच और प्रेरक प्रयास हम सब के लिए प्रेरक और अनुकरणीय हैं। यदि हम सब ऐसी ही सोच और समर्पण के साथ अपने विद्यालय पर कोशिश करते रहें तो निश्चित रूप से बेसिक शिक्षा की दिशा और दशा दोनों अनुकरणीय नजर आने लगेगी।
आइये देखते हैं आपके द्वारा किए गये कुछ प्रेरक और अनुकरणीय प्रयासों को:-
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=2059538490990404&id=1598220847122173
नाम- बबलू सोनी, सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कसरॉव
विकास खण्ड-हथगाम, जनपद- फ़तेहपुर, उ0प्र0
विद्यालय में नियुक्ति- 17 अगस्त 2010,
विभाग में नियुक्ति- 17 अगस्त 2010
जब मैं विद्यालय में एक सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुआ तो उस वक्त विद्यालय में नामांकन 72 था। और उपस्थिति लगभग 40 के आसपास रहती थी।
विद्यालय को दशा देखकर मुझे महसूस हुआ कि वास्तव में बेसिक शिक्षा को जो तस्वीर समाज के लोगों के मन में व्याप्त है, ये उसकी एक बानगी है। प्रारम्भ में मैं विद्यालय में एक सहायक अध्यापक के पद पर था, अतः विद्यालय समय से आना बच्चों को पढ़ाना और समय से वापस जाना, यही मेरी रूटीन थी।
किन्तु वर्ष 2013 से विद्यालय के प्रभारी महोदय का स्थानांतरण हो जाने के कारण, मुझे प्रभार मिल गया। मैंने मन ही मन ठाना कि मैं इस बेसिक शिक्षा विभाग की न सही पर इस विद्यालय की तस्वीर अवश्य बदल दूँगा। इसी इरादे से मैने कार्य करना प्रारम्भ किया।
इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं विद्यालय के बाद व पहले अभिभावकों से सम्पर्क करता था और उनसे उनका मोबाइल नम्बर ले लेता था और वह नम्बर एक पंजिका में दर्ज किया करता था।
एक कार्य और किया कि अभिभावकों को माह में एक बार विद्यालय में बुलाना प्रारम्भ किया साथ ही विद्यालय में होने वाले हर तरह के कार्यक्रमों में उनको बुलाया जाने लगा। इससे अभिभावकों को भी विद्यालय के प्रति रुचि उत्पन्न हुई और वें अपने बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने लगे। विद्यालय में समय-समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन विधिवत किया जाने लगा, जो कि पहले मात्र औपचारिकता ही हुआ करती थी। मेरे द्वारा बनाई गई अभिभावकों की फोन डायरी से ये लाभ हुआ कि जब कभी कोई बच्चा विद्यालय नहीं आता तो मैं स्वयं फोन करके कारण जानने का प्रयास करता हूँ। धीरे-धीरे इसी माध्यम से मेरा नम्बर भी अभिभावकों के पास पहुँच गया।
और अब तो आलम ये है कि जब किसी बच्चे को कोई जरूरी काम या बीमारी आदि के कारण विद्यालय नहीं आना होता है तो अभिभावक स्वयं फोन से सूचित करते हैं।
इन सब प्रयासों से आज विद्यालय में नामांकन 272 जा पहुंचा है और अभी भी नामांकन जारी है।
इनमें से प्रतिदिन लगभग 95 से 97 प्रतिशत बच्चे उपस्थित रहते हैं। विद्यालय की स्थिति को देखते हुये जिलाधिकारी महोदय व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय ने इस विद्यालय को जनपद के अच्छे विद्यालयों की सूची में स्थान दिया। और अब ये विद्यालय इंग्लिश मीडियम विद्यालय हेन्तु चयनित हो गया है। विद्यालय के परिवेश में जो भी सुधार स्वयं से हो सका यथा शक्ति मैंने किया।
बच्चों को विद्यालय के प्रति आकर्षित करने के लिए मैंने इन्हें खेल के माध्यम से पढ़ाने का प्रयास किया और समय-समय पर विभिन्न प्रकार के खेलों को भी सिखाया जाने लगा। बच्चों को इसमें बहुत आनन्द आने लगा तथा वें न्याय पंचायत से लेकर जनपद स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में भी प्रतिभाग करने लगे और अपने विद्यालय का मान बढ़ाया।
मैं विभाग में कार्यरत अन्य सभी अध्यापकों की भाँति ही एक सामान्य अध्यापक ही हूँ। अध्यापक स्वयं में एक पूर्ण शब्द है। इसलिए मैं उनको क्या सन्देश दूँगा।
बस इतना कहूँगा कि हम जिस भी विद्यालय में कार्यरत हों उसे जिस दिन से अपना विद्यालय और बच्चों को अपना बच्चा मान कर कार्य करना प्रारम्भ कर दें और साथ ही अपने कार्यों व दायित्वों को पूरी निष्ठा व ईमानदारी करने लगेंगे।
उसदिन से परिवर्तन स्वयं प्रदर्शित होने लगेगा और हम शिक्षा के उत्थान व शिक्षक के सम्मान के मिशन शिक्षण संवाद के उद्देश्य के प्रति अपने आप को एक सच्चे सिपाही के रूप में पायेंगे।
बबलू सोनी
सहायक अध्यापक
प्राथमिक विद्यालय कसरॉव
विकास खण्ड हथगाम
जनपद फ़तेहपुर
उ0प्र0
👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
👫 आओ हम सब हाथ मिलायें।
बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
👉🏼 नोटः- यदि आप या आपके आसपास कोई बेसिक शिक्षा का शिक्षक साथी प्रेरक कार्य कर शिक्षा एवं शिक्षक को सम्मानित स्थान दिलाने में सहयोग कर रहा है तो बिना किसी संकोच के अपने विद्यालय की उपलब्धियों और गतिविधियों को हम तक पहुँचाने में सहयोग करें। आपकी ये उपलब्धियाँ और गतिविधियाँ हजारों शिक्षकों के लिए नयी ऊर्जा और प्रेरणा का काम करेंगी। इसलिए बेसिक शिक्षा को सम्मानित स्थान दिलाने के लिए हम सब मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से जुड़कर एक दूसरे से सीखें और सिखायें। बेसिक शिक्षा की नकारात्मकता को दूर भगायें।
उपलब्धियों का विवरण, ऑडियो, वीडियो और फोटो भेजने का Whatsapp No.- 9458278429 एवं ईमेल- shikshansamvad@gmail.com है।
साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
निवेदन:- मिशन शिक्षण संवाद की समस्त गतिविधियाँ निःशुल्क, स्वैच्छिक एवं स्वयंसेवी हैं। जहाँ हम आप सब मिलकर शिक्षा के उत्थान और शिक्षक के सम्मान के लिए प्रयास कर रहे हैं। इसलिए यदि कहीं कोई लोभ- लालच या पद प्रतिष्ठा की बात कर, अपना व्यापारिक हित साधने की कोशिश कर रहा हो, तो उससे सावधान रह कर टीम मिशन शिक्षण संवाद को मिशन के नम्बर-9458278429 पर अवश्य अवगत करा कर सहयोग करें।
धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
13/04/2018
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नाम- बबलू सोनी, सहायक अध्यापक,
प्राथमिक विद्यालय कसरॉव
विकास खण्ड-हथगाम, जनपद- फ़तेहपुर, उ0प्र0
विद्यालय में नियुक्ति- 17 अगस्त 2010,
विभाग में नियुक्ति- 17 अगस्त 2010
जब मैं विद्यालय में एक सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्त हुआ तो उस वक्त विद्यालय में नामांकन 72 था। और उपस्थिति लगभग 40 के आसपास रहती थी।
विद्यालय को दशा देखकर मुझे महसूस हुआ कि वास्तव में बेसिक शिक्षा को जो तस्वीर समाज के लोगों के मन में व्याप्त है, ये उसकी एक बानगी है। प्रारम्भ में मैं विद्यालय में एक सहायक अध्यापक के पद पर था, अतः विद्यालय समय से आना बच्चों को पढ़ाना और समय से वापस जाना, यही मेरी रूटीन थी।
किन्तु वर्ष 2013 से विद्यालय के प्रभारी महोदय का स्थानांतरण हो जाने के कारण, मुझे प्रभार मिल गया। मैंने मन ही मन ठाना कि मैं इस बेसिक शिक्षा विभाग की न सही पर इस विद्यालय की तस्वीर अवश्य बदल दूँगा। इसी इरादे से मैने कार्य करना प्रारम्भ किया।
इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए मैं विद्यालय के बाद व पहले अभिभावकों से सम्पर्क करता था और उनसे उनका मोबाइल नम्बर ले लेता था और वह नम्बर एक पंजिका में दर्ज किया करता था।
एक कार्य और किया कि अभिभावकों को माह में एक बार विद्यालय में बुलाना प्रारम्भ किया साथ ही विद्यालय में होने वाले हर तरह के कार्यक्रमों में उनको बुलाया जाने लगा। इससे अभिभावकों को भी विद्यालय के प्रति रुचि उत्पन्न हुई और वें अपने बच्चों को नियमित विद्यालय भेजने लगे। विद्यालय में समय-समय पर भिन्न-भिन्न प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन विधिवत किया जाने लगा, जो कि पहले मात्र औपचारिकता ही हुआ करती थी। मेरे द्वारा बनाई गई अभिभावकों की फोन डायरी से ये लाभ हुआ कि जब कभी कोई बच्चा विद्यालय नहीं आता तो मैं स्वयं फोन करके कारण जानने का प्रयास करता हूँ। धीरे-धीरे इसी माध्यम से मेरा नम्बर भी अभिभावकों के पास पहुँच गया।
और अब तो आलम ये है कि जब किसी बच्चे को कोई जरूरी काम या बीमारी आदि के कारण विद्यालय नहीं आना होता है तो अभिभावक स्वयं फोन से सूचित करते हैं।
इन सब प्रयासों से आज विद्यालय में नामांकन 272 जा पहुंचा है और अभी भी नामांकन जारी है।
इनमें से प्रतिदिन लगभग 95 से 97 प्रतिशत बच्चे उपस्थित रहते हैं। विद्यालय की स्थिति को देखते हुये जिलाधिकारी महोदय व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी महोदय ने इस विद्यालय को जनपद के अच्छे विद्यालयों की सूची में स्थान दिया। और अब ये विद्यालय इंग्लिश मीडियम विद्यालय हेन्तु चयनित हो गया है। विद्यालय के परिवेश में जो भी सुधार स्वयं से हो सका यथा शक्ति मैंने किया।
बच्चों को विद्यालय के प्रति आकर्षित करने के लिए मैंने इन्हें खेल के माध्यम से पढ़ाने का प्रयास किया और समय-समय पर विभिन्न प्रकार के खेलों को भी सिखाया जाने लगा। बच्चों को इसमें बहुत आनन्द आने लगा तथा वें न्याय पंचायत से लेकर जनपद स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिताओं में भी प्रतिभाग करने लगे और अपने विद्यालय का मान बढ़ाया।
मैं विभाग में कार्यरत अन्य सभी अध्यापकों की भाँति ही एक सामान्य अध्यापक ही हूँ। अध्यापक स्वयं में एक पूर्ण शब्द है। इसलिए मैं उनको क्या सन्देश दूँगा।
बस इतना कहूँगा कि हम जिस भी विद्यालय में कार्यरत हों उसे जिस दिन से अपना विद्यालय और बच्चों को अपना बच्चा मान कर कार्य करना प्रारम्भ कर दें और साथ ही अपने कार्यों व दायित्वों को पूरी निष्ठा व ईमानदारी करने लगेंगे।
उसदिन से परिवर्तन स्वयं प्रदर्शित होने लगेगा और हम शिक्षा के उत्थान व शिक्षक के सम्मान के मिशन शिक्षण संवाद के उद्देश्य के प्रति अपने आप को एक सच्चे सिपाही के रूप में पायेंगे।
बबलू सोनी
सहायक अध्यापक
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👉 मित्रों आप भी यदि बेसिक शिक्षा के सम्मानित शिक्षक हैं या शिक्षा को मनुष्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण मानते हों और शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना अपना कर्तव्य मानते है तो इस मिशन शिक्षण संवाद के माध्यम से शिक्षा के उत्थान एवं शिक्षक के सम्मान की रक्षा के लिए आपस में हाथ से हाथ मिला कर, मिशन शिक्षण संवाद के अभियान को सफल बनाने के लिए इसे अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने में सहयोगी बनकर, शिक्षक स्वाभिमान की रक्षा के लिए आगे बढ़ें। हमें विश्वास है कि अगर आप सब अनमोल रत्न शिक्षक साथी हाथ से हाथ मिलाकर संगठित रूप से आगे बढ़े तो निश्चित ही बेसिक शिक्षा से नकारात्मकता की अंधेरी रात का अन्त होकर रोशनी की नयी किरण के साथ नया सवेरा अवश्य आयेगा। इसलिए--
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बेसिक शिक्षा का मान बढ़ायें।।
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साभार: मिशन शिक्षण संवाद उ० प्र०
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धन्यवाद अनमोल रत्न शिक्षक साथियों🙏🙏🙏
विमल कुमार
कानपुर देहात
13/04/2018
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